Thursday 25 April 2024

मुसलमान और मोदी

*मुसलमान न होते तो भाजपा आज सत्ता में होती ?* 
0 भाजपा दस साल से केंद्र की सत्ता में है लेकिन उसके पास ऐसी कोई ठोस उपलब्धि विकास या उन्नति का ठोस प्रमाण नहीं है जिसके आधार पर वह चुनाव में वोट मांग सके। यही वजह है कि वह उन अल्पसंख्यक मुसलमानों को खुलेआम निशाना बना रही है जिनके बारे में मीडिया व्हाट्सएप और उसके लोग घर घर जाकर लोगों के कान भरते हैं। जो भाजपा कल तक सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास का दावा करती थी वह आज किसी कीमत पर भी चुनाव जीतने के लिये बिना किसी सबूत आंकड़ों और सच्चाई के मुसलमानों को ना केवल ब दनाम अपमानित और पराया कर रही है बल्कि बहुसंख्यक हिंदुओं को भी गुमराह कर भड़काकर व डराकर वोटबैंक की सियासत कर रही है।
   *-इकबाल हिन्दुस्तानी*  
अगर चुनाव आयोग निष्पक्ष निडर और कानून के अनुसार काम कर रहा होता तो किसी पार्टी किसी नेता और किसी बड़े से बड़े पद पर बैठे लीडर को हिंदू मुस्लिम जाति व धर्म के आधार पर वोट मांगने से रोकता लेकिन यहां तो चुनाव आयोग क्या मीडिया से लेकर ईडी सीबीआई व इनकम टैक्स विभाग जैसी लगभग सभी संस्थायें एक दल और उसके सहयोगियों को छोड़कर विपक्ष सरकार विरोधियों और निष्पक्ष सभी भारतीयों को लगातार निशाना बना रहा है और अफसोस की बात यह है कि कोर्ट भी इस पक्षपात अन्याय और उत्पीड़न को रोकने में अकसर नाकाम नज़र आता है। सबसे बड़े पद पर बैठा एक नेता बिना कांग्रेस का घोषणा पत्र पढ़े ही आरोप लगा देता है कि वह मुसलमानों को आपकी सम्पत्ति छीनकर बांट देगी? जबकि कांग्रेस का मेनिफैस्टो कहता है कि जातीय सर्वे के साथ ही बढ़ती आर्थिक असमानता रोकने के लिये नई नीतियां बनायेगी ना कि पहले से अर्जित किसी की सम्पत्ति छीनकर किसी को बांटेगी। जो दल मुसलमानों का विश्वास सपोर्ट और वोट लेना चाहते हैं वे उनको अधिक बच्चे पैदा करने वाला घुसपैठिया और ना जाने क्या क्या बता रहे हैं?
मुसलमानों की आबादी देश में 14 प्रतिशत से अधिक है लेकिन वे सरकारी नौकरी से लेकर निजी क्षेत्र की सेवा उद्योगों बैंक सेवा बैंक लोन सरकारी पेट्रोल पंप गैस एजेंसी राशन डीलर सरकारी ठेकों आईआईटी आईआईएम लोकसभा विधानसभा नगर निगम नगरपालिका सरकारी अस्पतालों की सेवा विभिन्न आयोगों सरकारी स्कूलों काॅलेजों यूनिवर्सिटी कोर्ट जजों पुलिस सेना प्रशासनिक अधिकारियों यानी कहीं भी 14 का आघा 7 तो दूर 3.5 प्रतिशत तक नहीं हैं। ऐसे में उनको उनके हिस्से अधिकार और अनुपात से अधिक क्या मिल रहा है?
भाजपा अकसर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाती है। लेकिन उसको कोई गंभीरता से नहीं लेता। वजह साफ है कि भाजपा खुद हिंदू तुष्टिकरण की सियासत करती है। तुष्टिकरण वास्तव में किसे कहा जाये? अभी यह भी साफ नहीं है। संघ परिवार यह भी जानता है कि सेकुलर दलों पर मुस्लिम तुष्टिकरण करने का झूठा आरोप लगाने से ही भाजपा के पक्ष में जवाबी हिंदू धुरुवीकरण होता है। सबसे बड़ा मामला शाहबानो केस था। सुप्रीम कोर्ट का फैसला संविधान के हिसाब से उसको उसके पति से गुजारा भत्ता दिलाने का था। लेकिन कांग्रेस की तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने उसको मुसलमानों के कट्टरपंथी वर्ग को खुश करने के लिये पलट दिया।
इसके जवाब में हिंदू साम्प्रदायिकता को हवा देकर मंडल आयोग के पिछड़ा वर्ग आरक्षण से निबटने को बाबरी मस्जिद रामजन्म भूमि का आंदोलन संघ परिवार ने शुरू कर सत्ता पर कब्ज़ा जमा लिया है। ऐसा ही परिवार नियोजन का मामला है। छोटे परिवार का सम्बंध शिक्षा और सम्पन्नता से है लेकिन एक दल तो मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार करता रहा है। अगर वह बढ़ती आबादी को लेकर वास्तव में चिंतित होते तो सबके लिये अनिवार्य परिवार नियोजन यानी दो बच्चो का कानून बनाने की दस साल में हिम्मत दिखाते लेकिन वे जानते हैं इससे तो उनका हिंदू वोटबैंक भी नाराज़ हो जायेगा इसलिये उनको तो बस घृणा झूठ और हिंदुत्व की राजनीति करनी है। आंकड़े बताते हैं कि तीन दशक में मुस्लिम आबादी की बढ़त मेें हिंदू आबादी की बढ़त के मुकाबले ज्यादा गिरावट आई है। आप इस अंतर को इस तरह से देख सकते हैं कि जहां हिंदू आबादी में 30 साल में 5-95 प्रतिशत कमी आई है वहीं मुस्लिम आबादी की बढ़त में इसी दौरान 8-28 प्रतिशत की कमी आई है। मतलब कहने का यह है कि जहां 2001 से 2010 तक हिंदू आबादी में पिछले दशक के मुकाबले 3-16 प्रतिशत की कमी आई वहीं मुस्लिम आबादी में गिरावट की दर बढ़त के बावजूद 4-92 रही जो एक अच्छा संकेत है। 
                 हालांकि यह दुष्प्रचार काफी समय से चल रहा है कि अगर मुस्लिमों की आबादी इसी तरह बढ़ती रही तो देश में एक दिन ऐसा आयेगा कि जब मुस्लिम हिंदुओं से अधिक हो जायेंगे। इसके साथ ही यह भय भी खूब फैलाया जाता है कि उस दिन भारत को इस्लामी राष्ट्र घोषित कर दिया जायेगा और गैर मुस्लिमों पर शरीयत कानून थोपकर उनसे मुगलकाल की तरह जजिया वसूली की जायेगी। दूसरा तथ्य इस सारी बहस में यह भुला दिया गया है कि आबादी ज्यादा बढ़ना या तेजी से बढ़ना किसी सोची समझी योजना या धर्म विशेष की वजह से नहीं है बल्कि तथ्य और सर्वे बताते हैं कि इसका सीधा संबंध शिक्षा और सम्रध्दि से है। अगर आप दलितों या गरीब हिंदुओं की आबादी की बढ़त के आंकड़े अलग से देखें तो आपको साफ साफ पता चलेगा कि उनकी बढ़त दर कहीं मुस्लिमों के बराबर तो कहीं उनसे भी अधिक है। कहने का अभिप्राय यह है कि जिस तरह केरल सबसे शिक्षित राज्य है और वहां आबादी की बढ़त 4-9 प्रतिशत यानी लगभग जीरो ग्रोथ आ गयी है जिसमें मुस्लिम भी बराबर शरीक है और देश में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी की बढ़त असम में 30-9 से बढ़कर 34-2 प्रतिशत पाई गयी है जिसका साफ मतलब है कि बंग्लादेशी घुसपैठ से भी यह उछाल आया है। सच यह है कि भाजपा के दस साल के राज में जो नोटबंदी देशबंदी चंद पूंजीपति दोस्तों को 16 लाख माफ कर और जीएसटी की जनविरोधी आर्थिक नीतियां अपनाई गयीं हैं उससे महंगाई बेरोज़गारी व करप्शन बढ़ने से हिंदुओं का एक वर्ग अधिक ख़फा है। जिससे डरकर भाजपा असली मुद्दों से ध्यान भटकाने को हिंदू मुसलमान का राग अलाप रही है।
     *0उसके होंटो की तरफ न देख वो क्या कहता है,*
     *उसके कदमों की तरफ देख वो किधर जाता है।।*
*0 लेखक नवभारत टाइम्स के ब्लाॅगर और पब्लिक आॅब्ज़र्वर अख़बार के संपादक हैं।*

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