Wednesday 30 March 2016

2 लाइनें .

[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: इख़लास
तुम तक़ल्लुफ़ को भी इख़लास समझते हो फ़राज़,
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: झूठा
वाकिफ़ है लोग झूठ के नुक्सान से मगर,
झूठे की इस जहान में हिमायत भी कम नहीं।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: खामोशी
मुंह की बात सुने हर कोई,
दिल के दर्द को जाने कौन।
आवाज़ों के बाज़ारों में खामोशी पहचाने कौन।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: सियासत
सियासत जिसको कहते है वो कोठे की तवायफ़ है ,
इशारे किसको होते हैं नज़ारे कौन करता है।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: हरकतें
तेरा जो हाल है तेरी हरकतों से है ,
खता किसी की नहीं बददुआ किसी की नहीं।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: पूँजीवाद
लगी है होड़ सी देखो अमीरों और गरीबों में ,
ये पूँजीवाद के ढाँचे की बुनियादी ख़राबी है।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: फ़क़ीर
फ़क़ीर ए शहर सड़क पे धीरे चल,
अमीरे शहर के बंगले में धूल जाती है।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: बर्फ़ के बांट
गर यही मयारे दयानत है तो कल का ताजिर,
बर्फ़ के बांट लिये घूप में बैठा होगा।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: बुलन्दी....
बाद में मैं ने बुलन्दी को छुआ
अपनी नज़रों से गिरा था पहले।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: मिज़ाज.....
कलतक तो आशना थे आज ग़ैर हो
दो दिन में ये मिज़ाज है आगे ख़ैर हो।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: गुनहगार....
सौ जान से हो जाऊँगा राज़ी मैं सज़ा पर
पहले वो मुझे अपना गुनहगार तो करले।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: ज़मीर....
ज़मीर बेच के दौलत कमाने वाले सुन
तेरे उरूज से मेरा ज़वाल अच्छा है।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: इल्म...
मुदर्रिसों से कैसे मिले इल्म बच्चों को
कुँए में होगा तभी बाल्टी में आएगा।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: गर्दन....
अमीर ए शहर ने गर्दन उतार ली मेरी
न रोक सका सर उठा के चलने से।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: क़यादत...
गुमराह रहबरों से बग़ावत करेंगे हम
खुद काफ़लों की अपने क़यादत करेंगे हम।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: आईना...
नज़र बचाके गुज़र सकते हो तो गुज़र जाओ
मैं एक आइना हूँ मेरी अपनी ज़िम्मेदारी है।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: मुख़ालफ़त...
मुख़ालफ़त से मेरी शख़्सियत संवरती है
मैं दुश्मनों का बड़ा एहतराम करता हूँ।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: ग़ुरबत...
मेरी ग़ुरबत को शराफ़त का अभी नाम न दे
वक़्त बदला तो तेरी राय बदल जायेगी।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: महंदी...
महंदी लगे हाथ नदी में जो डाले उसने
मछलियाँ चीख़ उठी आग लगाई किसने।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: निबाह...
ये तेरी तल्ख़ नवाइयां कोई सह के दिखाए तो ज़रा
ये जो तुझमें मुझमें निबाह है मेरे हौसले का कमाल है।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: Aadmi
A! Aasman tere khuda ka nahin hai khauf,
darte hain a zameen tere aadmi se ham.
-JOSH
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: ज़हर...
साँपों के मुकद्दर में अब वो जहर कहाँ
लोग जो बातो बातो में उगल देते हैं।
[11:15AM, 7/14/2015] iqbalhindustani: मुंसिफ
सोने की कैंची लाओ कि मुंसिफ के लब खुले
कातिल ने होंट सी दिये चांदी के तार से ।।
[11:15AM, 7/14/2015] iqbalhindustani: प्यास
लगी है प्यास चलो रेत निचोड़ी जाए ,
अपने हिस्से में समंदर नहीं आने वाला।।
[12:52PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: Hausla
Sar utha k mat chaliye aaj k zamane mein
Jaan jaati rehti hai hausla dikhane mein.
[12:53PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: रोटी
वो सूरमा है मगर किसी का बाप भी है                        रोटी खरीद लाया है तलवार बेचकर।
[12:54PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: तक़दीर
एक पत्थर की तकदीर भी संवर सकती है,
शर्त यह है कि उसे सलीके से संवारा जाए।
[12:55PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: तूफ़ान/कश्ती
अगर ऐ नाखुदा तूफान से लड़ने का दमखम है,
इधर कश्ती को मत लाना, इधर पानी बहुत कम है।
[12:55PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: बच्चा
हवा के रुख़ पे रहने दो ये जलना सीख जाएगा
कि बच्चा लड़खड़ाएगा तो चलना सीख जाएगा
[12:56PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: बरसात
मज़ा बरसात का चाहो तो इन आँखों में आ बैठो,
वो बरसों में कभी बरसें ये बरसो से बरसती हैं।
[12:57PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: आईने
झूठ, लालच, और फरेब से अब भी परे है..
खुदा का शुक्र है, आइने आज भी खरे है.��
[12:59PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: क़त्ल/खंजर
दामन पे कोई छीट न खंज़र पे कोई दाग़।
तुम क़त्ल करो हो के करामात करो हो।।
[1:00PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: बूढा/बच्चे
मुझको थकने नहीं देता , ये ज़रुरत का पहाड़,
मेरे बच्चे मुझे बूढा होने नहीं देते।।
[1:01PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: मस्जिद
घर से मस्ज़िद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें।
किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए।
[1:02PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: किताबें
बच्चों के नन्हे हाथों में चाँद सितारे रहने दो।
चार किताबें पढ़कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे।।
[1:03PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: Makaan
Bachha bola dekhkar masjid aalishan,
Khuda tere ek ko itna bada makaan.
[1:04PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: खेल
बच्चे हैं लड़ पड़े थे यूं ही खेल खेल में,
दीवार बन गयी है बुज़ुर्गों के मेल में।।
[4:15PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: दिया
अब हवाएं ही करेंगी रोशनी का फ़ैसला
जिस दिए में जान होगी, वो दिया रह जाएगा।।
[4:33PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: Ghar/par
Parinde sochte hain rehne ko ghar mile,
or hm sochte hain udne ko par mile.
[4:35PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: दिल
काश बनाने वाले ने दिल कांच के बनाये होते
तोडने वाले के हाथ में जख्म तो आये होते।।
[4:36PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: ग़म
मुद्दत से उस की छाँव में बैठा नहीं कोई
वो सायादार पेड़ इसी ग़म में मर गया।।
[4:37PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: लोग
कुछ लोग थे जो वक्त के सॉचे में ढल गये
कुछ लोग थे जो वक्त के सॉचे बदल गये।।
[4:38PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: आंसू
एक आँसू भी हुकूमत के लिये खतरा है
तुमने देखा नहीं ऑखों का समन्दर होना।।
[4:42PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: दरार
यहाँ हर किसी को, दरारों में झाकने की आदत है,
दरवाजे खोल दो, कोई पूछने भी नहीं आएगा..!!
[4:44PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: मदद
कई घरों को निगलने के बाद आती है,
मदद भी शहर के जलने के बादआती है।।
[4:47PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: पर्वत
मैं पर्वतों से लडता रहा उम्र भर
लोग गीली जमीं खोदकर फरहाद हो गये।।
राहत इंदौरी
[4:48PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: निज़ाम
चमन का तेरे बागबॉन कुछ इस तरह निजाम है
जो गुल नहीं हैं काम के , उन्हीं का ऐहतराम है।।
[10:16AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: इंसान
अब तो दुनिया में ऐसा भी मज़हब चलाया जाए
जिसमें आदमी को पहले इंसान बनाया जाए।
[10:17AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: वफ़ा
सारी दुनिया की नज़र में हैं मेरा अहदे वफ़ा।
एक तेरे कहने से क्या मैं बेवफा हो जाऊंगा ।।
[10:18AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: बरसात
घर टपकता है और उस पर घर में वो मेहमान है
पानी पानी हो रही है आबरू बरसात में।।
[10:20AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: रिश्ता/लफ़्ज़
नर्म लफ्जों से भी लग जाती है चोटें अक्सर ! रिश्ते निभाना बड़ा नाजुक सा हुनर होता है.!
[10:21AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: ज़मीर
इक नींद है कि लोगों को आती नहीं रात भर
.और इक जमीर है जो दिन और रात सोता है।।
[11:13AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: आदमी
यूँ तो हम जमाने में कब किसी से डरते हैं
आदमी के मारे हैं, आदमी से डरते हैं।।
[11:14AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: ज़ुलम
तुम अपने ज़ुल्म की,  इन्तेहाँ कर दो,
फिर कोई हम सा बेजुबां,  मिले ना मिले!
[11:16AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: रिज़्क
हुसूल ए रिज़्क़ की ख़ातिर ज़मीर मत बेचो
वो पत्थरों में भी कीड़ों को पाल देता है।
[11:17AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: क़ातिल
क़ातिल ने मुकर जाने का अजब ढंग निकाला हैं,
हर एक से पूछता फिरता है इसको किसने मारा है।
[11:18AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: हुकूमत
हुकूमत मुँह भराई के हुनर से खूब वाकिफ है
ये हर कुत्ते के आगे शाही टुकड़ा डाल देती है।।
[11:21AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: भूख
चेहरा बता रहा था कि मारा है भूख ने;
सब लोग कह रहे थे कि कुछ खा के मर गया।
[11:22AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: पाँव
धूप में झुलस गये उन बच्चों के पाँव,
बाप जिनका माहिर था जूते बनाने में ।"
[11:23AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: गुमराह
मंजिलों से गुमराह भी कर देते हैं कुछ लोग
हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता।।
[11:24AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: Ilzaam
Kuchh is Tarkeeb se barbad kiya hai usne .
Mere mitne ka bhi ilzaam mujhi per aaya.
[11:25AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: पहल
फासले बढते ही जायेंगे दरमियॉ दिल के
गर इंतजार करेंगे कि पहल कौन करे।।
[11:26AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: सुकूं
कोई एक शख्स तो यूँ मिले
कि वो मिले तो सुकूँ मिले।।
[11:27AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: इबादत
कोई जन्नत का तालिब है तो कोई गम से परेशां है।
ज़रूरत सज़दा करवाती है इबादत कौन करता है।।
[11:27AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: ज़ब्त
मेरी बेकरारी देखी है अब मेरा जब्त भी देख।
इतना खामोश रहूँगा की तू चीख उठेगी।।
[11:29AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: Sharaafat
Libase paarsai se sharafat aa nahi sakti
sharafat nafs me hogi to insaan paarsa hoga.
[11:32AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: दोस्त
वो दोस्त मेरी नज़र में बहुत मायने रखता है,
जो वक़्त आने पर मेरे सामने आईने रखता है,
[11:33AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: ज़माना
जिनके आंगन में अमीरी का शजर लगता है,
उनका हर ऐब ज़माने को हुनर लगता है।
[11:34AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: आह/क़त्ल
हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम,
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता।
[11:35AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: बेगाना
मुफलिसी अपनो को बेगाना बना देती है
कोई आता नही गिरती हुई दिवार के पास।।
[11:36AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: ताल्लुक़
मैं उसके घर नहीं जाता वह मेरे घर नहीं आता,
मगर इन एहतियातों से ताल्लुक़ मर नहीं जाता ।
[11:37AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: तक़रीर/तक़दीर
बहुत मैंने सुनी है आपकी तकरीर मौलाना।
मगर बदली नहीं अब तक मिरी तकदीर मौलाना।।
[10:03PM, 7/15/2015] iqbalhindustani: नाम
तुम्हारा नाम लेने से मुझे सब जान जाते हैं,
मैं वो खोयी हुई इक चीज़ हूँ जिसका पता तुम हो।
[10:18AM, 7/17/2015] iqbalhindustani: मसीहा
वो मसीहा न बना हमने भी ख़्वाहिश नहीं की
अपनी शर्तों पर जिए उससे गुज़ारिश नहीं की।
[10:19AM, 7/17/2015] iqbalhindustani: दुनिया
मतलब की दुनिया थी , इसलिये छोड़ दिया सबसे मिलना
वरना ये छोटी सी उम्र तनहाई के काबिल नहीं होती।।
[10:21AM, 7/17/2015] iqbalhindustani: पेड़
रहती है छॉव क्यों मेरे ऑगन में थोड़ी देर
इस जुर्म में पडोस का वो पेड कट गया।।
[10:22AM, 7/17/2015] iqbalhindustani: आँखे/आंसू
सलीका हो अगर भीगी हुई  ऑखों को पढ़ने का
तो फिर बहते हुए ऑसू भी अकसर बात करते हैं।।
[10:24AM, 7/17/2015] iqbalhindustani: हिम्मत
जिगर पत्थर , जुबॉ खंजर, नज़र भी है तेरी ज़ालिम
हिम्मत हमारी देखो फिर भी निभा रहे हैं हम।।
[10:25AM, 7/17/2015] iqbalhindustani: औक़ात/इंसानियत
मिट्टी के घरों में लोग मेरी ख़िदमत में खड़े थे,
औकात में थे छोटे मगर इंसानियत में बड़े थे।
[10:25AM, 7/17/2015] iqbalhindustani: ख़बर
बहुत अजीब है अखबार का मुलाजिम भी
ये खुद ख़बर है मगर दूसरो की लिखता है !
[10:26AM, 7/17/2015] iqbalhindustani: नक़ाब
एक से मिल के सब से मिल लीजै
आज हर शख्स है नकाबों में।।
[10:27AM, 7/17/2015] iqbalhindustani: ख़ुलूस
हर लफ्ज़में मोहब्बत , हर लफ्ज में दुआ
मकरूज़ कर दिया है हमें , तेरे खुलूस ने।।
[10:28AM, 7/17/2015] iqbalhindustani: ख़ामी
बहुत खामियॉ निकालने लगे हो आजकल मुझमें
आओ एक मुलाकात आइने से ज़रा तुम भी कर लो।।
[4:53PM, 7/20/2015] iqbalhindustani: कांच
पहले तराशा काँच से
उसने मेरा वजूद....!
फिर शहर भर के हाथ
में पत्थर थमा दिए...!!
[5:12PM, 7/20/2015] iqbalhindustani: शहर
इसी शहर में कई साल से से मिरे कुछ क़रीबी अज़ीज़ हैं
उन्हें मेरी कोई ख़बर नहीं मुझे उनका कोई पता नहीं।
[5:15PM, 7/20/2015] iqbalhindustani: ख़ुद्दार
न पूछो क्या गुजरती है, दिले-खुद्दार पर अक्सर,
किसी बेमेहर को जब मेहरबां कहना ही पड़ता है।
[5:17PM, 7/20/2015] iqbalhindustani: शेर
मियां मै शेर हूँ शेरों की गुर्राहट नहीं जाती
मैं लहजा नरम भी कर लूँ तो झुंझलाहट नही जाती।
[5:19PM, 7/20/2015] iqbalhindustani: सर
मुझे दुश्मन से भी खुद्दारी की उम्मीद रहती है
किसी का भी हो सर कदमों में सर अच्छा नहीं लगता।।
[5:20PM, 7/20/2015] iqbalhindustani: रहनुमा
यह लोग पांव नही ज़ेहन से अपाहिज हैं।
उधर चलेंगे जिधर रहनुमा चलाता है।
[5:39PM, 7/20/2015] iqbalhindustani: कमज़र्फ
बरसात में तालाब तो हो जाते हैं कमज़र्फ़,
बाहर कभी आपे से समंदर नहीं होता ।
[4:25PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: ज़मीर
ज़मीं के सारे ख़ुदाओं को टोक देता था ,
मेरा ज़मीर था ज़िन्दा ये बात है तब  की !
[4:33PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: ख़त
तेरे ख़त आज लतीफ़ों की तरह लगते हैं,
खूब हँसता हूँ जहाँ लफ़्ज़-ए-वफ़ा आता है..!!
[4:40PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Ptthar
Aap mera sath do vaise mujhe malaoom hai,
pattharon me cheekh hargiz kaargar hoti nahin.
-DUSHYANT
[4:41PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: ज़ख़्म
तहज़ीब में भी उसकी क्या ख़ूब अदा थी
नमक भी अदा किया तो ज़ख़्मों पर छिड़ककर।
[4:42PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: वहम
सब मैं जानता हूँ ये वहम नहीं पाला,
मैंने अपने बच्चे से भी खुशी से सीखा है...
[4:43PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: यादें
भूल जाना भी तो इक तरह की नेमत है फराज , वरना इंसान को पागल न बना दें यादें।
[4:44PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: नुमाइश
ये शहर है कि नुमाइश लगी हुई है कोई
जो आदमी भी मिला बनके इश्तहार मिला।।
[4:45PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: ईमान
काश बरस जाए अब ईमान की बारिश,
लोगों के ज़मीरों पे बड़ी धूल जमी है।
[4:46PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: जुदाई
वफा की लाज में उनको मना लेते तो अच्छा था,
अना की जंग में अक्सर जुदाई जीत जाती है !
[4:47PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Jannat
Masjid laraz rahi thi dhamakon ke shor se
Jannat ki aarzun ne kayi ghar jala diye.
[4:48PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: अना
हम मुलाज़िम है मगर थोड़ी अना रखते है
हमसे हर हुक्म कि तामील नहीं हो पाती।।
[4:51PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: तजुर्बा
हमारा तजुरबा हमें ये भी सबक सिखाता है,
कि जो मख्खन लगाता है वो ही चूना लगाता है।
[4:52PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: सच
यहाँ सब खामोश है कोई आवाज़ नहीं करता
सच बोलकर कोई किसी को नाराज़ नहीं करता।।
[4:53PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: सच
मैं सच को सच भी कहूँगी मुझे खबर ही न थी
तुझे भी इल्म न था मेरी इस बुराई का।।
[4:54PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: झूठ
मैं सच कहूँगी मगर फिर भी हार जाउंगी।
वो झूठ बोलेगा और लाजवाब कर देगा।।
[4:55PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Haar
Mujhe Apni Haar Me Kitna Sukoon Tha,
Us Shakhs Ne Jab Gale Lagya Jeetne k Baad.
[4:56PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Muhabbat
mohabbat ke liye kuchh khaas dil makhsoos hote hain...
Yeh woh nagma hai jo har saaz pe gaaya nahi jaata
[4:57PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Topi
Bade badon kee dekhlee topi chhue zameen,
khane peene men rahi rekha badi maheen.-k.b.noor
[4:57PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Alfaaz
Vahi alfaz jo akhbar me patthar ke hote hain,
ghazal me aa gaye to raat kee palken bhigote hain.
[4:58PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Fitrat
Kaun fitrat ke taqazon ko badal sakta hai,
shama har hal me chahegi faroza hona.
[4:59PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Nibaah
Yeh tarze saaf bayani hamari fitrat hai,
iseeliye to hamara kahin nibah nahin.
[5:00PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Zindagi
Har haadse jo har had se dar gayi,
vo zindagi to maut se pehle hee mar gayi.
[5:01PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Phool/kanta
Phool tha main mujhko kanta banakar rakh diya,
aur ab kante se kahte hain ke chubhna chhod de.
[5:02PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Dil
Dil to phir dil hai mitti ka khilona bhi agar,
besabab tod diyaa jaaye to gham hota hai.
[5:03PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Aarzoo
Arzuon ko ghatane me bhala hai dil ka,
kam ho sarmaya to nuqsan bhi kam hota hai.
[5:04PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Jang
Mahaz e jang pe jane ko kuchh khona padta hai,
patthar se ladne ko patthar hona padta hai.
[5:05PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Khuddari
Aisa nahin ke bura vaqt kat gaya,
khuddari jag uthi to daman simat gaya.
[5:06PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: इंसान
मुझे वजह ना दो हिन्दू या मुसलमान होने की
मुझे तो सिर्फ तालीम चाहिए एक ''इंसान'' होने की।।
[5:07PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Ajnabi
Tamam rishton ko main ghar pe chhod aaya tha,
phir uske bad mujhe koi ajnabi na mila.
[5:08PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Husn
Husn to hai hee karo lutfe zaban bhi paida,
meer ko dekho ke sab log bhala kahte hain.-
[5:09PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Qalam
Hamari jeb se jab bhi qalam nikalta hai,
syah shab ke yazeedon ka dam nikalta hai.
[12:09PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: प्यार/मुहब्बत
वही महसूस करते हैं मुह्ब्बत की  तडप दिल में,
जो अपने आपसे बढकर किसी को प्यार करते हैं .
[12:10PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: Aas
Bas ek is aas pe mudkar nahi dekha,
ki jisne chod diya h wahi pukarega.
[12:11PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: कबूतर
पालते हैं वे कबूतर पर कतरने के लिए
ताकि बेबस हों उन्हीं के घर उतरने के लिए।।
[12:12PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: इबादत
ज़िन्दगी दी है तो शर्ते इबादत न लगा,
पेड़ का साया भला पेड़ को क्या देता है।
[12:13PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: क़ातिल
जिस्म की कमज़ोरियों का रूह से रिश्ता नहीं,
मेरा क़ातिल सामने था पर मैं घबराया ना था।
[12:14PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: रिश्ता
दिल से अपनाया न उसने ग़ैर भी समझा नहीं,
ये भी एक रिश्ता है जिसमें उससे कोई रिश्ता नहीं।
[12:15PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: दिल
मुसहफ़ी हम तो ये समझे थे कि होगा कोई ज़ख्म,
तेरे दिल में तो बहुत काम रफू का निकला।
[12:16PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: काफ़िर
ज़ाहिदे तंग नज़र ने मुझे क़ाफ़िर समझा
और क़ाफ़िर ये समझते हैं मुसलमां हूँ मैं।।
[12:17PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: रहबरी
न इधर उधर की बात कर यह बता क़ाफिला क्यों लुटा,
मुझे रहज़नों से गिला नहीं तेरी रहबरी का सवाल है।।
[12:23PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: लफ़्ज़
लफ़्ज़ों की शरारत है, ज़रा संभाल कर लिखना तुम
मोहब्बत लफ्ज़ है लेकिन ये अक्सर हो भी जाती है।
[12:29PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: सर
सर की सलामती की शर्तें तो देखिये
तलवार उसे दे दूँ, दस्तार उसे दे दूँ।
[1:04PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: वादा
ये सोचकर कोई अहदे वफा करो हमसे
हम एक वादे पर उम्र गुजार देते हैं.
वसीम वरेलवी
[1:06PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: हालात
हमारी चाहतें सच हैं मगर हालात का दरिया
मुझे इस पार रखता है तुम्हें उस पार रखता है

[10:21AM, 7/24/2015] iqbalhindustani: Dost
Dost hoke bhi na saath nibhane wala,  wahi andaaz hai zaalim ka zamane wala.
[10:25AM, 7/24/2015] iqbalhindustani: दोस्त/दुश्मन
दुश्मनों ने तो दुश्मनी की है
दोस्तों ने क्या कमी की है.
[10:14AM, 7/25/2015] iqbalhindustani: ज़मीर
मिरा ज़मीर बहुत है मुझे सज़ा के लिए
तू दोस्त है तो नसीहत न कर ख़ुदा के लिए।
शाज़ तमकनत
[10:16AM, 7/25/2015] iqbalhindustani: तीर
देखा जो तीर खा के कमीं-गाह की तरफ़
अपने ही दोस्तों से मुलाक़ात हो गई।
-हफ़ीज़ जालंधरी
[10:23AM, 7/25/2015] iqbalhindustani: शख़्स
अपना कशकोल छिपा लो तो सभी हातिम हैं
वरना हर शख्स भिखारी है, जिधर जाओगे.
[10:24AM, 7/25/2015] iqbalhindustani: आबरू
निकलना खुल्द से आदम का सुनते आये थे लेकिन,
बहुत बे-आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले।
-‘ग़ालिब’
[10:25AM, 7/25/2015] iqbalhindustani: दोस्ती
दोस्ती किससे कब हो जाये अंदाज़ा नहीं होता,
ये वो घर है जिसका कोई दरवाज़ा नहीं होता।
[11:39AM, 7/25/2015] iqbalhindustani: लिबास
यहाँ लिबास की क़ीमत है, आदमी की नहीं
मुझे गिलास बड़े  दे शराब कम  कर  दे।
[11:41AM, 7/25/2015] iqbalhindustani: आदमी
घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला ।
~बशीरबद्र
[10:58AM, 7/30/2015] iqbalhindustani: Deevar
Itni barish ho chuki hai rat is deevar par,
kal subah jo dhoop nikli to bhi yeh gir jayegi.
[10:59AM, 7/30/2015] iqbalhindustani: Ghar
Mayyat padi thi bap ki kis ko thi fikra ye, sab lootne ko ghar ke khazane me lag gaye.
[11:00AM, 7/30/2015] iqbalhindustani: Kirdaar
Vo aadmi bhi farishton se kam nahin jisne,
havas ke daur me kirdar ko sanbhala hai.
[11:04AM, 7/30/2015] iqbalhindustani: Qalam
Mera qalam to amanat hai mere logon ki,
mera qalam to adalat mere zameer ki hai.
-FARAZ
[11:08AM, 7/30/2015] iqbalhindustani: Manzil
Jis din se chala hoon meri manzil pe nazar hai,
in ankhon ne kabhi meel ka patthar nahi dekha.
[11:10AM, 7/30/2015] iqbalhindustani: Takalluf
Ai zauk takalluf me hai takleef sarasar,
aaram se vo hain jo takalluf nahi karte.
[11:12AM, 7/30/2015] iqbalhindustani: Sahil/naav
Main to tairak hoon sahil par pahunch jaoonga,
doob jayenge meri naav dubone vale.
[11:14AM, 7/30/2015] iqbalhindustani: Dard
Khanjar chale kisi pe tadapte hain ham ameer,
sare jahan ka dard hamare jigar me hai.
[11:16AM, 7/30/2015] iqbalhindustani: Bete
Agar ma bap khami par zara samjhane lagte hain,
nayi tehzeeb ke bete unhe dhamkane lagte hain.
[12:30PM, 7/31/2015] iqbalhindustani: अक़्स
जिसके लफ़्ज़ों में हमे अपना अक्स मिलता है,
बड़े नसीबों से ऐसा कोई शख़्स मिलता है ।।
[10:10AM, 8/5/2015] iqbalhindustani: ख़ामोशी
हज़ारों जवाबों से अच्छी है ख़ामोशी मेरी,
न जाने कितने सवालों की आबरू रख ली।
[10:16AM, 8/5/2015] iqbalhindustani: फ़रेब
पत्थर उबालती रही एक माँ तमाम रात
बच्चे फरेब खा के चटाई पे सो गये।
[10:21AM, 8/5/2015] iqbalhindustani: नक़ाब
यूँ डाल के फिरते हो नकाबो पे नकाब
बे-एब है चेहरा तो दिखा क्यों नही देते।
[10:25AM, 8/5/2015] iqbalhindustani: आबरू
अहले- दौलत जानते हैं सब गरीबों का भरम,
आबरू ले लीजिये दो रोटियां दे दीजिये ।
[4:45PM, 8/10/2015] iqbalhindustani: Noor
In andheron ka jigar cheer kar noor aayega
tum ho firoun tou moosa bhi jaroor ayega.
[10:12PM, 8/12/2015] iqbalhindustani: दिल
दिल पाक नही तो पाक हो नही सकता इंसान
वरना इबलीस को भी आते थे वजू के फराईज बहुत।
[10:16PM, 8/12/2015] iqbalhindustani: आयना
आयना जब भी हाथो में उठाया करो
पहले देखा करो फिर दिखाया करो.
[9:46AM, 8/13/2015] iqbalhindustani: फ़क़ीरी
इधर रौनक़ मज़ारों पर उधर महलों में सन्नाटा
शहंशाहों की हालत पर फ़क़ीरी मुस्कराती है।
[9:52AM, 8/13/2015] iqbalhindustani: रस्म
आँख उठाकर भी न देखूँ, जिससे मेरा दिल न मिले,
रस्मन सबसे हाथ मिलाना, मेरे बस की बात नहीं।
[10:00AM, 8/13/2015] iqbalhindustani: उस्ताद
लफ़्ज़ों के हेर-फेर का धंधा भी ख़ूब है,
जाहिल हमारे शहर में उस्ताद हो गए।
[9:43AM, 8/20/2015] iqbalhindustani: अपने
हम खुद को बरगद बनाकरजमाने भर को छाँव बाँटते रहे ,
मेरे अपने ही हर दिनमुझको थोडा-थोडा काटते रहे !!
[10:01AM, 8/22/2015] iqbalhindustani: आँख
आँख से आँख मिला बात बढ़ाता क्यों है
तू अगर मुझसे ख़फ़ा है तो छुपाता क्यों है।
[3:21PM, 8/22/2015] iqbalhindustani: रिवाज
गले मिलकर छुरा घोंपने का रिवाज है यहाँ
क्या शहर है कायदे का दुश्मन नहीं मिलता.
[3:22PM, 8/22/2015] iqbalhindustani: Lahoo
Waqt pada gulistan per lahoo humne diya.
Jab bahaar aayee to kahte ho tumhara kaam nahi.
[4:52PM, 8/24/2015] iqbalhindustani: Khuddari
A jazb-a khuddari jhukne na diya toone, likhne ke liye varna sone ke qalam aate.
[4:52PM, 8/24/2015] iqbalhindustani: Faasle
Qareeb aao to shayad hame samajh lo ge,
Ye fasle to ghalatfehmiyan badhate hain.
[4:52PM, 8/24/2015] iqbalhindustani: Bhaaee
Gar bhaee ho zalim to himayat nahi achchhi,
Haq par ho dushman to adavat nahi achchhi.
[4:52PM, 8/24/2015] iqbalhindustani: Bachcha
Mere dil ke kisi kone men ek maasoom sa bachchaa,
Badon kee dekhkar duniya badaa hone se dartaa he.
[4:52PM, 8/24/2015] iqbalhindustani: Chup
vo jo chup reh jaate hen,
Kitna kuchh keh jaate hen.
[4:52PM, 8/24/2015] iqbalhindustani: Khayaal
sar talak to baad me aaee mere dushman kee tegh,
Usse pehle anginat hamle khayaalo par hue.
[4:52PM, 8/24/2015] iqbalhindustani: Saleeqa
Saleeqa yoon to aata hai baqadre zarf insa ko,
Saleeqa jisko kehte hain badi mushkil se aata hai.
[4:52PM, 8/24/2015] iqbalhindustani: Phool/khaar
SACHCHAION KA KOI KHARIDAR HI N THA,
SHAKHON PE PHOOL SOOKH GAYE KHAR BIK GAYE.
[4:52PM, 8/24/2015] iqbalhindustani: Jhooth
Vo jhooth bold rha tha bde sleeqe se,
Mai aitbar n krta to aur kya krta.
[11:19AM, 8/28/2015] iqbalhindustani: Bhookh
Muflisi hisse latafat ko mita deti hai
Bhookh tehzeeb ke sanchey me dhal nahi sakti.
[11:22AM, 8/28/2015] iqbalhindustani: मुफ़लिसी
मैँने कोशिश तो बहुत की थी पढ़ाने के लिए
मुफलिसी ले गई बच्चोँ को कमाने के लिए।
~खुमार बाराबंकवी
[11:26AM, 8/28/2015] iqbalhindustani: Aaina
Aaina moonh pe bura aur bhala kehta hai
Sach yeh hai saaf jo hota hai safa kehta hai.
- 'Daag'
[10:30PM, 8/30/2015] iqbalhindustani: Nafrat
Ye nfrt hai jise lmho me dunya jan leti hai,
Muhbbt ka pta lgne me zmane beet jate hain.
[10:30PM, 8/30/2015] iqbalhindustani: Dosti
zindgibhr hmto unse dosti krte rahe,
Vo hmara ghr jlakr roshni krte rhe.
[10:30PM, 8/30/2015] iqbalhindustani: Rishta
Sirf baqi rh gya belaus rishto ka freb,
Kuchh munafiq hm hue kuchh tum siyasi ho gye.-NASHTAR
[10:30PM, 8/30/2015] iqbalhindustani: Ilzaam
Khuda mehfooz rakhe hr basar ko tangdasti se...
Ye apne saath lekar hajaro ilzaam aati h...
[9:01AM, 9/7/2015] iqbalhindustani: Dhan
Hr do qdm pe mndir o msjid k bavjood,
Dunya tmam dhn ki pujari lagi hme.
[9:01AM, 9/7/2015] iqbalhindustani: Naseehat
Jis k Jordan pe shaitan bhi shrminda hai, vo bhi aae hain krne nseehat hmko.
[9:01AM, 9/7/2015] iqbalhindustani: Jhooth
JO JHOOTH BOLKE KARTA H MUTMAIN SABKO
WOH JHOOTH BOLKE KHUD MUTMAIN NAHI H .
[9:01AM, 9/7/2015] iqbalhindustani: Ghar
Be sro sama hi behtr kt rhi h zindgi,
ghr bna to roz ghr lutne ka dr ho jayga.
[9:01AM, 9/7/2015] iqbalhindustani: Bulandi
Mujhme jb se bulndiya aee,
mere lehje me nrmiya aee.
Hq byani ka ye sila paya,
mere pao me bediya aee.
-dr.madhur
[9:01AM, 9/7/2015] iqbalhindustani: Lehja
Lakh kpdo m chhipaaye koi khud ko lekin,
lehja insan ki auqat bta deta hai.
[9:01AM, 9/7/2015] iqbalhindustani: Darya
Yeh behtr tha k m drya hi rhta,
smndr bnkr tnha ho gya hoon.
[9:01AM, 9/7/2015] iqbalhindustani: Manzil
Bht k hue mnzil p pahuch jaynge khud hi,
rste se agr rhnumao ko hta do.
[9:43AM, 9/14/2015] iqbalhindustani: Adaa
Qeemti qaleen jb se mere ghr m a gye,
behichk ghr m ane jane ki ada jati rhi.
[9:43AM, 9/14/2015] iqbalhindustani: Baarish
Bathroomo ki naee klchr m aisa bnd hoon,
khulke barish me nhane ki ada jati rahi.
[9:43AM, 9/14/2015] iqbalhindustani: Khidki
Tumhe y bnd kmre ki ghutn jeene nhi degi,
agr khidki nhi rkhi h roshndan to rakkho.
-NAVAZ
[9:44AM, 9/14/2015] iqbalhindustani: Shajar
Jo jankar hain mitti s jan lete hain,
shjr kisi ko bhi shjra nhi btata hai.
-m.rana
[3:41PM, 9/16/2015] iqbalhindustani: Baghaavt
Munsifo saleebo se  faisle nhi hote,
besbb bghavt k sanhe nhi hote.
[3:41PM, 9/16/2015] iqbalhindustani: Khuloos
Tere khuloos n rkkha mujhe andhere m,
tera freb mujhe roshni m le aya.
[3:41PM, 9/16/2015] iqbalhindustani: Sar
Neze pr bhi bulnd rha kt k sr mera, lekin jhuka n jhoothe khudao k samne.
[3:41PM, 9/16/2015] iqbalhindustani: Aql
Aql ki ek baat tum logo se karke dekhna,
log lekar aayege hatho me patthar dekhna.
[3:41PM, 9/16/2015] iqbalhindustani: Saleeqa
Kaun si bat kahan kaise kahi jati h,
ye saleeqa ho to hr bat suni jati h.
-VASEEM BLY
[10:04AM, 9/17/2015] iqbalhindustani: Log
Suvidha pr bike log kohni pr tike log,
krte h brgd ki bat gmlo m uge log.
[10:04AM, 9/17/2015] iqbalhindustani: Ilzaam
Sch bat man lijiye chehro p dhool h,
ilzam aeeno p lagana fazool h.
-ANJUM REHBAR
[10:04AM, 9/17/2015] iqbalhindustani: Dukh
Dukh nhi koi k ab uplbhiyon k nam pr, or kuchh ho ya n ho akash si chhati to h.
-dushyant kumar
[10:04AM, 9/17/2015] iqbalhindustani: Drd
Mere to drd bhi oro k kam ate h,
main ro padoon to kaee log muskrate hain.
[9:58PM, 9/18/2015] iqbalhindustani: तहज़ीब
तहज़ीब सिखाती है जीने का सलीक़ा
तालीम से जाहिल की जहालत नहीं जाती।
[6:59PM, 9/20/2015] iqbalhindustani: वस्ल
वस्ल के असबाब पैदा हों तेरी तहरीर से
देख ! कोई दिल न दुख जाए तेरी तकरीर से.
अल्लामा इकबाल
[3:54PM, 9/24/2015] iqbalhindustani: भूख
वह ज़रुरत बहुत बड़ी होगी, जो उसूलों से लड़ पड़ी होगी
चोरी, भूखे ने कर ली मंदिर में, भूख भगवान से बड़ी होगी।
-शरद सुनेरी
[11:31AM, 10/3/2015] iqbalhindustani: सुबह
शाम तक सुबह की नजरों से उतर जाते हैं।
इतने समझौतों पे जीते हैं की मर जाते हैं।
[11:11AM, 10/9/2015] iqbalhindustani: सच
सच की हालत किसी तवायफ सी है,
तलबगार बहुत हैं तरफदार कोई नही
[11:12AM, 10/9/2015] iqbalhindustani: Gareebi
Aur ehsas gareebi ka badhaya na karo,
Jeb khali ho to bazar me jaya na karo.
[11:13AM, 10/9/2015] iqbalhindustani: इश्क
इश्क में इसलिए भी धोखा खानें लगें हैं लोग,
दिल की जगह जिस्म को चाहनें लगे हैं लोग.
[12:31PM, 10/17/2015] iqbalhindustani: ऐब
हज़ारों ऐब ढूँढ़ते है हम दूसरों में इस तरह,
अपने किरदारों में हम लोग,फरिश्तें हो जैसे....!!!!
[11:34AM, 10/24/2015] iqbalhindustani: Bazaar
Bazaar me baithe ho to hairat Kya hai.
Jo bhi dekhega voh poochhega ke qeemat kya hai.
[11:35AM, 10/24/2015] iqbalhindustani: चादर
जिंदगी बस इतना अगर दे तो काफी है …
सर से चादर न हटे , पांव भी चादर में रहे ।
[12:48PM, 10/24/2015] iqbalhindustani: खुद्दारी
खुद पुकारेगी मंजिल तो ठहर जाऊंगा,
वरना मुसाफिर खुद्दार हूं, यूँ ही गुजर जाऊंगा!
[12:48PM, 10/24/2015] iqbalhindustani: घर
घर सजाने का तस्व्वुद तो बहुत बाद का है
पहले ये तय हो कि इस घर को बचाएं कैसे।
-वसीम
[5:41PM, 12/2/2015] iqbalhindustani: डर
बदन के घाव दिखा कर जो अपना पेट भरता है
सुना है वो भिखारी ज़ख्म भर जाने से डरता है
[9:24PM, 12/4/2015] iqbalhindustani: बशर
बशर दुनिया में कोई किसी को जँचता ही नहीं
यहाँ हर शख़्स एक दूसरे से ख़फ़ा ख़फ़ा सा है
[8:08PM, 12/5/2015] iqbalhindustani: Andheraa
Mumkin  hai ki sadiyon bhi nazar aae na sooraj
Is baar andheraa mere  andar se utha  hai .
- Aanis Moin
[12:18PM, 12/15/2015] iqbalhindustani: रिश्ते
किसी से कोई भी उम्मीद रखना छोड़ कर देखो
तो ये रिश्ते निभाना किस क़दर आसान हो जाये
~ वसीम बरेलवी
[3:23PM, 12/26/2015] iqbalhindustani: शेर
हम पर दुःख के पर्वत टूटे तो हम ने दो चार लिखे
उसपर क्या बीती होगी जिसने शेर हज़ार लिखे ।।
हुल्लड़ मुरादाबादी
[3:25PM, 12/26/2015] iqbalhindustani: झूठ/एतबार
जादू है या तिलिस्म तुम्हारी ज़बान में
तुम झूट कह रहे थे मुझे एतिबार था
[4:08PM, 12/26/2015] iqbalhindustani: Fasaadi
Jo deklta hoon wohi bolne ka aadi hoon
Main apne shaher ka sabse bada fasaadi hoon.
[12:17PM, 1/6/2016] iqbalhindustani: आंसू
मुहब्बत के यह आंसू हैं, इन्हें आँखों में रहने दो,
शरीफ़ों के घरों का मसअला बाहर नहीं जाता ।
-वसीम बरेलवी
[2:27PM, 1/8/2016] iqbalhindustani: हक़ीक़त
गुनेहगार हूँ फ़क़त इस हक़ीक़त बयानी का,
लगा कर चाशनी ज़ुबाँ पे हमसे बोला नहीं जाता !!
# राज़ लखनवी #
[10:19AM, 1/15/2016] iqbalhindustani: अदब
[10:19AM, 1/15/2016] iqbalhindustani: उनकी जुबान चलती है तलबार की तरहा
और हम अदब से चुप हैं गुनहगार की तरहा
-हुक्म मदर्सी
[10:20AM, 1/15/2016] iqbalhindustani: सियासत
[10:20AM, 1/15/2016] iqbalhindustani: उनका जो फ़र्ज़ है वो अहले-सियासत जानें
मेरा पैग़ाम मुहब्बत है जहां तक पहुंचे
– जिगर
[10:24AM, 1/15/2016] iqbalhindustani: ख़ुलूस
[10:24AM, 1/15/2016] iqbalhindustani: मिले ख़ुलूस कहाँ ताजिरों की बस्ती में,
वफ़ा तरसती है शहरों में दोस्ती के लिए।
[10:26AM, 1/15/2016] iqbalhindustani: सच
[10:26AM, 1/15/2016] iqbalhindustani: बोलूँ अगर मै झूठ तो मर जायेगा ज़मीर ।
कह दूँ अगर मै सच तो मुझे मार देेंगे लोग ।
[10:27AM, 1/15/2016] iqbalhindustani: आईना
[10:27AM, 1/15/2016] iqbalhindustani: “यहाँ हर कोई रखता है ख़बर ग़ैरों के गुनाहों की
अजब फितरत हैं, कोई आइना नहीं रखता“
[10:49AM, 1/22/2016] iqbalhindustani: रोशनी
[10:49AM, 1/22/2016] iqbalhindustani: Usi ko khalne lagi mere ghar ki raushni,
Mere Chirag se jiska Chirag jalta hai.
[12:14AM, 2/9/2016] Zuby Beti: Mijaz
mijaz e logo se jab jab waqif hoti ja rahi hoo ... mai utni tanhai pasand hoti ja rahi hoo
[11:35AM, 2/12/2016] iqbalhindustani: इंसान
[11:35AM, 2/12/2016] iqbalhindustani: कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है
हमने इंसान न होने की कसम खाई है।
[12:28PM, 2/15/2016] iqbalhindustani: ताल्लुक़
[12:28PM, 2/15/2016] iqbalhindustani: हद से बढ़ जाये ताल्लुक तो गम मिलते हैं,
हम इसी वास्ते अब हर शख्स से कम मिलते हैं।
[11:44AM, 2/24/2016] iqbalhindustani: दोस्त
[11:44AM, 2/24/2016] iqbalhindustani: पहचान मेरी 'शाद', मेरे दोस्तों से है
मैं ख़ुद बुरा सही, मगर अच्छों के साथ हूं
- शाद
[10:58AM, 3/17/2016] iqbalhindustani: शख़्स
ऐसा नहीं कि शख्स
अच्छा नहीं था वो,
जैसा मेरे ख्याल में था,
बस वैसा नहीं था वो.
[11:02AM, 3/27/2016] iqbalhindustani: ग़ुरबत
[11:02AM, 3/27/2016] iqbalhindustani: गुर्बत  ने  सिखा  दी  है  मेरे  बच्चों  को  तहज़ीब
सहमे   हुए    रहते    है   शरारत    नही    करते।
[10:10AM, 3/28/2016] iqbalhindustani: Udaan
[10:12AM, 3/28/2016] iqbalhindustani: KL TK JO BAAT KRTA THA OONCHI UDAAN KI
KMIYAAN GINA RAHA HAI WO HI AASMAN KI.

Monday 28 March 2016

कन्हैया

कन्हैया को हीरो किसने बनाया?
इक़बाल हिन्दुस्तानी

उसकी सोच की तुलना जनवादी भगत सिंह से की जा सकती है! कानून से पहले ही मीडिया ने कन्हैया का ट्रायल जारी रखा हुआ है। कांग्रेस के एक नेता ने उसकी सोच की तुलना आज़ादी के सिपाही भगत सिंह से कर दी। इस पर यह सवाल उठ रहा है कि एक ‘देशद्रोही’ की तुलना एक क्रांतिकारी से कैसे की जा सकती है? एक मोदी भक्त अनुपम खेर यहां तक कह रहे हैं कि ज़मानत पर जेल से बाहर आया कोई आदमी कैसे हीरो बन सकता है? खेर तो खैर अधिकांश फिल्मों में विलेन का रोल करते रहे हैं। अब आम आदमी की नज़र में भी विलेन जैसी बातें करने लगे हैं। खेर को इतना भी नहीं पता कि जब तक कन्हैया पर आरोप साबित न हो जायें वह बेकसूर ही माना जायेगा।
 
इसके बावजूद पहले उसकी उसके समर्थकों और पत्रकारों की पेशी के दौरान कोर्ट परिसर में संघ परिवार के लोगों ने पिटाई की। अब एक गुमनाम पोस्टर छापकर कन्हैया को मारने वाले को 11 लाख का इनाम देने का ऐलान किया गया है। इससे पहले यूपी का एक भाजपा नेता कन्हैया की जीभ काटकर लाने वाले को 5 लाख का पुरस्कार देने की बात कह चुका है। यह अच्छी बात है कि बीजेपी ने उस नेता को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। कन्हैया ने अब तक ऐसा कुछ भी न तो किया है और न ही कहा है जो जानकारों के मुताबिक देशद्रोह की श्रेणी में आता हो। उसने भारत विरोधी नारों को भी गलत बताया है। नारे उसने लगाये भी नहीं। इसके बावजूद कन्हैया और जेएनयू को वामपंथी सोच का होने की वजह से लगातार निशाना बनाया जा रहा है।
 
सरकार और संघ परिवार से असहमति और विरोध देश का विरोध और देशद्रोह कैसे माना जा सकता है? अब खुद मोदी सरकार ने यह मान लिया है कि इस विवादित कानून की समीक्षा की जा रही है । संघ परिवार का देश के तिरंगे में भी विश्वास नहीं रहा तभी पांच दशक तक संघ के कार्यालय पर तिरंगा नहीं फहराया गया। उसकी सोच के समर्थक गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या कर दी। एक वर्ग विशेष के खिलाफ लगातार साज़िश रचने, उनका बहिष्कार करने और उनको तरह तरह से अलग थलग करने का आरोप भी संघ पर बार बार लगता है। ईसाई मिशनरी भी धर्म परिवर्तन के बहाने उसके निशाने पर रहते हैं।
 
गरीबों मज़दूरों कमज़ोरों किसानों नौजवानों दलितों और अल्पसंख्यकों की समस्यायें दूर कर उनको देश की प्रगति व उन्नति में पर्याप्त हिस्सेदारी देने की बजाये संघ हिंदुत्व का राग अलापता रहता है। उसके एजेंडे में शिक्षा का भगवाकरण और संविधान का हिंदूकरण करना सबसे अहम रहा है। दूसरी तरफ कन्हैया चूंकि वामपंथी विचारधारा से जुड़ा है। इसलिये अब संघ के निशाने पर वामपंथ ही है। उसको पता है कि उनकी सही मायने में सेकुलर गरीब समर्थक और वास्तव में समाजवादी वैकल्पिक नीतियां उसके अस्तित्व के लिये चुनौती हैं। संयोग से पहले केजरीवाल फिर नीतीश कुमार और अब कन्हैया के रूप में संघ परिवार को चुनौती देने वाला जो तीसरा नेता सामने आया है वह समाजवादी सेकुलर व वामपंथी सोच से ही जुड़ा है।
भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की संघ की मंशा पूरी न होने देने के लिये मुसलमान या अल्पसंख्यक नहीं बल्कि कन्हैया जैसे सेकुलर और निष्पक्ष हिंदू ही बड़ी तादाद में उसका विरोध कर रहे हैं। देश की जनता को धर्म के नाम पर कुछ समय तक ही बहकाया जा सकता है। संघ परिवार इस सच को देख नहीं पा रहा है कि मोदी सरकार बने दो साल भी नहीं हुए उससे पटेल नाराज़ मराठा नाराज़ जाट नाराज़ किसान नाराज़ मज़दूर नाराज़ छात्र नाराज़ व्यापरी और उद्योगपति निराश युवा ख़फ़ा और मीडियम क्लास हताश होता जा रहा है। क्या ये सब हिंदू नहीं हैं? बजट में जो टोटके और ढकोसले मोदी सरकार ने इन वर्गों को बहलाने और बहकाने को पेश किये हैं उनसे बिना ठोस परिणाम सामने आये ये सब भाजपा को माफ करने वाले नहीं हैं।
 
इसलिये संघ परिवार एक बात साफ तौर पर समझ ले कि अब वह सत्ता में है और उसको सबकी भलाई का काम कर के दिखाना होगा। अब वह भावनाओं की राजनीति और हिंदू ध््राुवीकरण का साम्प्रदायिक कार्ड बार बार नहीं चला पायेगा। यही वजह है कि कन्हैया मोदी सरकार को एक मामूली छात्र नेता से वामपंथी होने की वजह से अपनी सरकार के लिये ख़तरे की घंटी नज़र आ रहा है। लेकिन एक सच और भी है। जितना ही कन्हैया और केजरीवाल जैसे मोदी विरोधियों को ध्मकाया डराया या कानून के जाल में फंसाया जायेगा वे और बड़ी चुनौती बनते जायेंगे। कन्हैया ने चेतावनी के लहजे में दो टूक कहा भी है कि वे भारत के संविधान को मानते हैं, नागपुर के भगवा संविधान को नहीं।  
 
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं,
तुमने मेरा कांटों भरा बिस्तर नहीं देखा।