Wednesday, 30 March 2016

2 लाइनें .

[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: इख़लास
तुम तक़ल्लुफ़ को भी इख़लास समझते हो फ़राज़,
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: झूठा
वाकिफ़ है लोग झूठ के नुक्सान से मगर,
झूठे की इस जहान में हिमायत भी कम नहीं।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: खामोशी
मुंह की बात सुने हर कोई,
दिल के दर्द को जाने कौन।
आवाज़ों के बाज़ारों में खामोशी पहचाने कौन।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: सियासत
सियासत जिसको कहते है वो कोठे की तवायफ़ है ,
इशारे किसको होते हैं नज़ारे कौन करता है।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: हरकतें
तेरा जो हाल है तेरी हरकतों से है ,
खता किसी की नहीं बददुआ किसी की नहीं।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: पूँजीवाद
लगी है होड़ सी देखो अमीरों और गरीबों में ,
ये पूँजीवाद के ढाँचे की बुनियादी ख़राबी है।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: फ़क़ीर
फ़क़ीर ए शहर सड़क पे धीरे चल,
अमीरे शहर के बंगले में धूल जाती है।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: बर्फ़ के बांट
गर यही मयारे दयानत है तो कल का ताजिर,
बर्फ़ के बांट लिये घूप में बैठा होगा।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: बुलन्दी....
बाद में मैं ने बुलन्दी को छुआ
अपनी नज़रों से गिरा था पहले।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: मिज़ाज.....
कलतक तो आशना थे आज ग़ैर हो
दो दिन में ये मिज़ाज है आगे ख़ैर हो।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: गुनहगार....
सौ जान से हो जाऊँगा राज़ी मैं सज़ा पर
पहले वो मुझे अपना गुनहगार तो करले।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: ज़मीर....
ज़मीर बेच के दौलत कमाने वाले सुन
तेरे उरूज से मेरा ज़वाल अच्छा है।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: इल्म...
मुदर्रिसों से कैसे मिले इल्म बच्चों को
कुँए में होगा तभी बाल्टी में आएगा।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: गर्दन....
अमीर ए शहर ने गर्दन उतार ली मेरी
न रोक सका सर उठा के चलने से।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: क़यादत...
गुमराह रहबरों से बग़ावत करेंगे हम
खुद काफ़लों की अपने क़यादत करेंगे हम।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: आईना...
नज़र बचाके गुज़र सकते हो तो गुज़र जाओ
मैं एक आइना हूँ मेरी अपनी ज़िम्मेदारी है।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: मुख़ालफ़त...
मुख़ालफ़त से मेरी शख़्सियत संवरती है
मैं दुश्मनों का बड़ा एहतराम करता हूँ।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: ग़ुरबत...
मेरी ग़ुरबत को शराफ़त का अभी नाम न दे
वक़्त बदला तो तेरी राय बदल जायेगी।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: महंदी...
महंदी लगे हाथ नदी में जो डाले उसने
मछलियाँ चीख़ उठी आग लगाई किसने।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: निबाह...
ये तेरी तल्ख़ नवाइयां कोई सह के दिखाए तो ज़रा
ये जो तुझमें मुझमें निबाह है मेरे हौसले का कमाल है।
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: Aadmi
A! Aasman tere khuda ka nahin hai khauf,
darte hain a zameen tere aadmi se ham.
-JOSH
[4:13PM, 7/3/2015] iqbalhindustani: ज़हर...
साँपों के मुकद्दर में अब वो जहर कहाँ
लोग जो बातो बातो में उगल देते हैं।
[11:15AM, 7/14/2015] iqbalhindustani: मुंसिफ
सोने की कैंची लाओ कि मुंसिफ के लब खुले
कातिल ने होंट सी दिये चांदी के तार से ।।
[11:15AM, 7/14/2015] iqbalhindustani: प्यास
लगी है प्यास चलो रेत निचोड़ी जाए ,
अपने हिस्से में समंदर नहीं आने वाला।।
[12:52PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: Hausla
Sar utha k mat chaliye aaj k zamane mein
Jaan jaati rehti hai hausla dikhane mein.
[12:53PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: रोटी
वो सूरमा है मगर किसी का बाप भी है                        रोटी खरीद लाया है तलवार बेचकर।
[12:54PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: तक़दीर
एक पत्थर की तकदीर भी संवर सकती है,
शर्त यह है कि उसे सलीके से संवारा जाए।
[12:55PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: तूफ़ान/कश्ती
अगर ऐ नाखुदा तूफान से लड़ने का दमखम है,
इधर कश्ती को मत लाना, इधर पानी बहुत कम है।
[12:55PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: बच्चा
हवा के रुख़ पे रहने दो ये जलना सीख जाएगा
कि बच्चा लड़खड़ाएगा तो चलना सीख जाएगा
[12:56PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: बरसात
मज़ा बरसात का चाहो तो इन आँखों में आ बैठो,
वो बरसों में कभी बरसें ये बरसो से बरसती हैं।
[12:57PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: आईने
झूठ, लालच, और फरेब से अब भी परे है..
खुदा का शुक्र है, आइने आज भी खरे है.��
[12:59PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: क़त्ल/खंजर
दामन पे कोई छीट न खंज़र पे कोई दाग़।
तुम क़त्ल करो हो के करामात करो हो।।
[1:00PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: बूढा/बच्चे
मुझको थकने नहीं देता , ये ज़रुरत का पहाड़,
मेरे बच्चे मुझे बूढा होने नहीं देते।।
[1:01PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: मस्जिद
घर से मस्ज़िद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें।
किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए।
[1:02PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: किताबें
बच्चों के नन्हे हाथों में चाँद सितारे रहने दो।
चार किताबें पढ़कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे।।
[1:03PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: Makaan
Bachha bola dekhkar masjid aalishan,
Khuda tere ek ko itna bada makaan.
[1:04PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: खेल
बच्चे हैं लड़ पड़े थे यूं ही खेल खेल में,
दीवार बन गयी है बुज़ुर्गों के मेल में।।
[4:15PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: दिया
अब हवाएं ही करेंगी रोशनी का फ़ैसला
जिस दिए में जान होगी, वो दिया रह जाएगा।।
[4:33PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: Ghar/par
Parinde sochte hain rehne ko ghar mile,
or hm sochte hain udne ko par mile.
[4:35PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: दिल
काश बनाने वाले ने दिल कांच के बनाये होते
तोडने वाले के हाथ में जख्म तो आये होते।।
[4:36PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: ग़म
मुद्दत से उस की छाँव में बैठा नहीं कोई
वो सायादार पेड़ इसी ग़म में मर गया।।
[4:37PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: लोग
कुछ लोग थे जो वक्त के सॉचे में ढल गये
कुछ लोग थे जो वक्त के सॉचे बदल गये।।
[4:38PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: आंसू
एक आँसू भी हुकूमत के लिये खतरा है
तुमने देखा नहीं ऑखों का समन्दर होना।।
[4:42PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: दरार
यहाँ हर किसी को, दरारों में झाकने की आदत है,
दरवाजे खोल दो, कोई पूछने भी नहीं आएगा..!!
[4:44PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: मदद
कई घरों को निगलने के बाद आती है,
मदद भी शहर के जलने के बादआती है।।
[4:47PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: पर्वत
मैं पर्वतों से लडता रहा उम्र भर
लोग गीली जमीं खोदकर फरहाद हो गये।।
राहत इंदौरी
[4:48PM, 7/14/2015] iqbalhindustani: निज़ाम
चमन का तेरे बागबॉन कुछ इस तरह निजाम है
जो गुल नहीं हैं काम के , उन्हीं का ऐहतराम है।।
[10:16AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: इंसान
अब तो दुनिया में ऐसा भी मज़हब चलाया जाए
जिसमें आदमी को पहले इंसान बनाया जाए।
[10:17AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: वफ़ा
सारी दुनिया की नज़र में हैं मेरा अहदे वफ़ा।
एक तेरे कहने से क्या मैं बेवफा हो जाऊंगा ।।
[10:18AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: बरसात
घर टपकता है और उस पर घर में वो मेहमान है
पानी पानी हो रही है आबरू बरसात में।।
[10:20AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: रिश्ता/लफ़्ज़
नर्म लफ्जों से भी लग जाती है चोटें अक्सर ! रिश्ते निभाना बड़ा नाजुक सा हुनर होता है.!
[10:21AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: ज़मीर
इक नींद है कि लोगों को आती नहीं रात भर
.और इक जमीर है जो दिन और रात सोता है।।
[11:13AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: आदमी
यूँ तो हम जमाने में कब किसी से डरते हैं
आदमी के मारे हैं, आदमी से डरते हैं।।
[11:14AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: ज़ुलम
तुम अपने ज़ुल्म की,  इन्तेहाँ कर दो,
फिर कोई हम सा बेजुबां,  मिले ना मिले!
[11:16AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: रिज़्क
हुसूल ए रिज़्क़ की ख़ातिर ज़मीर मत बेचो
वो पत्थरों में भी कीड़ों को पाल देता है।
[11:17AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: क़ातिल
क़ातिल ने मुकर जाने का अजब ढंग निकाला हैं,
हर एक से पूछता फिरता है इसको किसने मारा है।
[11:18AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: हुकूमत
हुकूमत मुँह भराई के हुनर से खूब वाकिफ है
ये हर कुत्ते के आगे शाही टुकड़ा डाल देती है।।
[11:21AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: भूख
चेहरा बता रहा था कि मारा है भूख ने;
सब लोग कह रहे थे कि कुछ खा के मर गया।
[11:22AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: पाँव
धूप में झुलस गये उन बच्चों के पाँव,
बाप जिनका माहिर था जूते बनाने में ।"
[11:23AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: गुमराह
मंजिलों से गुमराह भी कर देते हैं कुछ लोग
हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता।।
[11:24AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: Ilzaam
Kuchh is Tarkeeb se barbad kiya hai usne .
Mere mitne ka bhi ilzaam mujhi per aaya.
[11:25AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: पहल
फासले बढते ही जायेंगे दरमियॉ दिल के
गर इंतजार करेंगे कि पहल कौन करे।।
[11:26AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: सुकूं
कोई एक शख्स तो यूँ मिले
कि वो मिले तो सुकूँ मिले।।
[11:27AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: इबादत
कोई जन्नत का तालिब है तो कोई गम से परेशां है।
ज़रूरत सज़दा करवाती है इबादत कौन करता है।।
[11:27AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: ज़ब्त
मेरी बेकरारी देखी है अब मेरा जब्त भी देख।
इतना खामोश रहूँगा की तू चीख उठेगी।।
[11:29AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: Sharaafat
Libase paarsai se sharafat aa nahi sakti
sharafat nafs me hogi to insaan paarsa hoga.
[11:32AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: दोस्त
वो दोस्त मेरी नज़र में बहुत मायने रखता है,
जो वक़्त आने पर मेरे सामने आईने रखता है,
[11:33AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: ज़माना
जिनके आंगन में अमीरी का शजर लगता है,
उनका हर ऐब ज़माने को हुनर लगता है।
[11:34AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: आह/क़त्ल
हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम,
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता।
[11:35AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: बेगाना
मुफलिसी अपनो को बेगाना बना देती है
कोई आता नही गिरती हुई दिवार के पास।।
[11:36AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: ताल्लुक़
मैं उसके घर नहीं जाता वह मेरे घर नहीं आता,
मगर इन एहतियातों से ताल्लुक़ मर नहीं जाता ।
[11:37AM, 7/15/2015] iqbalhindustani: तक़रीर/तक़दीर
बहुत मैंने सुनी है आपकी तकरीर मौलाना।
मगर बदली नहीं अब तक मिरी तकदीर मौलाना।।
[10:03PM, 7/15/2015] iqbalhindustani: नाम
तुम्हारा नाम लेने से मुझे सब जान जाते हैं,
मैं वो खोयी हुई इक चीज़ हूँ जिसका पता तुम हो।
[10:18AM, 7/17/2015] iqbalhindustani: मसीहा
वो मसीहा न बना हमने भी ख़्वाहिश नहीं की
अपनी शर्तों पर जिए उससे गुज़ारिश नहीं की।
[10:19AM, 7/17/2015] iqbalhindustani: दुनिया
मतलब की दुनिया थी , इसलिये छोड़ दिया सबसे मिलना
वरना ये छोटी सी उम्र तनहाई के काबिल नहीं होती।।
[10:21AM, 7/17/2015] iqbalhindustani: पेड़
रहती है छॉव क्यों मेरे ऑगन में थोड़ी देर
इस जुर्म में पडोस का वो पेड कट गया।।
[10:22AM, 7/17/2015] iqbalhindustani: आँखे/आंसू
सलीका हो अगर भीगी हुई  ऑखों को पढ़ने का
तो फिर बहते हुए ऑसू भी अकसर बात करते हैं।।
[10:24AM, 7/17/2015] iqbalhindustani: हिम्मत
जिगर पत्थर , जुबॉ खंजर, नज़र भी है तेरी ज़ालिम
हिम्मत हमारी देखो फिर भी निभा रहे हैं हम।।
[10:25AM, 7/17/2015] iqbalhindustani: औक़ात/इंसानियत
मिट्टी के घरों में लोग मेरी ख़िदमत में खड़े थे,
औकात में थे छोटे मगर इंसानियत में बड़े थे।
[10:25AM, 7/17/2015] iqbalhindustani: ख़बर
बहुत अजीब है अखबार का मुलाजिम भी
ये खुद ख़बर है मगर दूसरो की लिखता है !
[10:26AM, 7/17/2015] iqbalhindustani: नक़ाब
एक से मिल के सब से मिल लीजै
आज हर शख्स है नकाबों में।।
[10:27AM, 7/17/2015] iqbalhindustani: ख़ुलूस
हर लफ्ज़में मोहब्बत , हर लफ्ज में दुआ
मकरूज़ कर दिया है हमें , तेरे खुलूस ने।।
[10:28AM, 7/17/2015] iqbalhindustani: ख़ामी
बहुत खामियॉ निकालने लगे हो आजकल मुझमें
आओ एक मुलाकात आइने से ज़रा तुम भी कर लो।।
[4:53PM, 7/20/2015] iqbalhindustani: कांच
पहले तराशा काँच से
उसने मेरा वजूद....!
फिर शहर भर के हाथ
में पत्थर थमा दिए...!!
[5:12PM, 7/20/2015] iqbalhindustani: शहर
इसी शहर में कई साल से से मिरे कुछ क़रीबी अज़ीज़ हैं
उन्हें मेरी कोई ख़बर नहीं मुझे उनका कोई पता नहीं।
[5:15PM, 7/20/2015] iqbalhindustani: ख़ुद्दार
न पूछो क्या गुजरती है, दिले-खुद्दार पर अक्सर,
किसी बेमेहर को जब मेहरबां कहना ही पड़ता है।
[5:17PM, 7/20/2015] iqbalhindustani: शेर
मियां मै शेर हूँ शेरों की गुर्राहट नहीं जाती
मैं लहजा नरम भी कर लूँ तो झुंझलाहट नही जाती।
[5:19PM, 7/20/2015] iqbalhindustani: सर
मुझे दुश्मन से भी खुद्दारी की उम्मीद रहती है
किसी का भी हो सर कदमों में सर अच्छा नहीं लगता।।
[5:20PM, 7/20/2015] iqbalhindustani: रहनुमा
यह लोग पांव नही ज़ेहन से अपाहिज हैं।
उधर चलेंगे जिधर रहनुमा चलाता है।
[5:39PM, 7/20/2015] iqbalhindustani: कमज़र्फ
बरसात में तालाब तो हो जाते हैं कमज़र्फ़,
बाहर कभी आपे से समंदर नहीं होता ।
[4:25PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: ज़मीर
ज़मीं के सारे ख़ुदाओं को टोक देता था ,
मेरा ज़मीर था ज़िन्दा ये बात है तब  की !
[4:33PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: ख़त
तेरे ख़त आज लतीफ़ों की तरह लगते हैं,
खूब हँसता हूँ जहाँ लफ़्ज़-ए-वफ़ा आता है..!!
[4:40PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Ptthar
Aap mera sath do vaise mujhe malaoom hai,
pattharon me cheekh hargiz kaargar hoti nahin.
-DUSHYANT
[4:41PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: ज़ख़्म
तहज़ीब में भी उसकी क्या ख़ूब अदा थी
नमक भी अदा किया तो ज़ख़्मों पर छिड़ककर।
[4:42PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: वहम
सब मैं जानता हूँ ये वहम नहीं पाला,
मैंने अपने बच्चे से भी खुशी से सीखा है...
[4:43PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: यादें
भूल जाना भी तो इक तरह की नेमत है फराज , वरना इंसान को पागल न बना दें यादें।
[4:44PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: नुमाइश
ये शहर है कि नुमाइश लगी हुई है कोई
जो आदमी भी मिला बनके इश्तहार मिला।।
[4:45PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: ईमान
काश बरस जाए अब ईमान की बारिश,
लोगों के ज़मीरों पे बड़ी धूल जमी है।
[4:46PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: जुदाई
वफा की लाज में उनको मना लेते तो अच्छा था,
अना की जंग में अक्सर जुदाई जीत जाती है !
[4:47PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Jannat
Masjid laraz rahi thi dhamakon ke shor se
Jannat ki aarzun ne kayi ghar jala diye.
[4:48PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: अना
हम मुलाज़िम है मगर थोड़ी अना रखते है
हमसे हर हुक्म कि तामील नहीं हो पाती।।
[4:51PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: तजुर्बा
हमारा तजुरबा हमें ये भी सबक सिखाता है,
कि जो मख्खन लगाता है वो ही चूना लगाता है।
[4:52PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: सच
यहाँ सब खामोश है कोई आवाज़ नहीं करता
सच बोलकर कोई किसी को नाराज़ नहीं करता।।
[4:53PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: सच
मैं सच को सच भी कहूँगी मुझे खबर ही न थी
तुझे भी इल्म न था मेरी इस बुराई का।।
[4:54PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: झूठ
मैं सच कहूँगी मगर फिर भी हार जाउंगी।
वो झूठ बोलेगा और लाजवाब कर देगा।।
[4:55PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Haar
Mujhe Apni Haar Me Kitna Sukoon Tha,
Us Shakhs Ne Jab Gale Lagya Jeetne k Baad.
[4:56PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Muhabbat
mohabbat ke liye kuchh khaas dil makhsoos hote hain...
Yeh woh nagma hai jo har saaz pe gaaya nahi jaata
[4:57PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Topi
Bade badon kee dekhlee topi chhue zameen,
khane peene men rahi rekha badi maheen.-k.b.noor
[4:57PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Alfaaz
Vahi alfaz jo akhbar me patthar ke hote hain,
ghazal me aa gaye to raat kee palken bhigote hain.
[4:58PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Fitrat
Kaun fitrat ke taqazon ko badal sakta hai,
shama har hal me chahegi faroza hona.
[4:59PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Nibaah
Yeh tarze saaf bayani hamari fitrat hai,
iseeliye to hamara kahin nibah nahin.
[5:00PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Zindagi
Har haadse jo har had se dar gayi,
vo zindagi to maut se pehle hee mar gayi.
[5:01PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Phool/kanta
Phool tha main mujhko kanta banakar rakh diya,
aur ab kante se kahte hain ke chubhna chhod de.
[5:02PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Dil
Dil to phir dil hai mitti ka khilona bhi agar,
besabab tod diyaa jaaye to gham hota hai.
[5:03PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Aarzoo
Arzuon ko ghatane me bhala hai dil ka,
kam ho sarmaya to nuqsan bhi kam hota hai.
[5:04PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Jang
Mahaz e jang pe jane ko kuchh khona padta hai,
patthar se ladne ko patthar hona padta hai.
[5:05PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Khuddari
Aisa nahin ke bura vaqt kat gaya,
khuddari jag uthi to daman simat gaya.
[5:06PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: इंसान
मुझे वजह ना दो हिन्दू या मुसलमान होने की
मुझे तो सिर्फ तालीम चाहिए एक ''इंसान'' होने की।।
[5:07PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Ajnabi
Tamam rishton ko main ghar pe chhod aaya tha,
phir uske bad mujhe koi ajnabi na mila.
[5:08PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Husn
Husn to hai hee karo lutfe zaban bhi paida,
meer ko dekho ke sab log bhala kahte hain.-
[5:09PM, 7/22/2015] iqbalhindustani: Qalam
Hamari jeb se jab bhi qalam nikalta hai,
syah shab ke yazeedon ka dam nikalta hai.
[12:09PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: प्यार/मुहब्बत
वही महसूस करते हैं मुह्ब्बत की  तडप दिल में,
जो अपने आपसे बढकर किसी को प्यार करते हैं .
[12:10PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: Aas
Bas ek is aas pe mudkar nahi dekha,
ki jisne chod diya h wahi pukarega.
[12:11PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: कबूतर
पालते हैं वे कबूतर पर कतरने के लिए
ताकि बेबस हों उन्हीं के घर उतरने के लिए।।
[12:12PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: इबादत
ज़िन्दगी दी है तो शर्ते इबादत न लगा,
पेड़ का साया भला पेड़ को क्या देता है।
[12:13PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: क़ातिल
जिस्म की कमज़ोरियों का रूह से रिश्ता नहीं,
मेरा क़ातिल सामने था पर मैं घबराया ना था।
[12:14PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: रिश्ता
दिल से अपनाया न उसने ग़ैर भी समझा नहीं,
ये भी एक रिश्ता है जिसमें उससे कोई रिश्ता नहीं।
[12:15PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: दिल
मुसहफ़ी हम तो ये समझे थे कि होगा कोई ज़ख्म,
तेरे दिल में तो बहुत काम रफू का निकला।
[12:16PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: काफ़िर
ज़ाहिदे तंग नज़र ने मुझे क़ाफ़िर समझा
और क़ाफ़िर ये समझते हैं मुसलमां हूँ मैं।।
[12:17PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: रहबरी
न इधर उधर की बात कर यह बता क़ाफिला क्यों लुटा,
मुझे रहज़नों से गिला नहीं तेरी रहबरी का सवाल है।।
[12:23PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: लफ़्ज़
लफ़्ज़ों की शरारत है, ज़रा संभाल कर लिखना तुम
मोहब्बत लफ्ज़ है लेकिन ये अक्सर हो भी जाती है।
[12:29PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: सर
सर की सलामती की शर्तें तो देखिये
तलवार उसे दे दूँ, दस्तार उसे दे दूँ।
[1:04PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: वादा
ये सोचकर कोई अहदे वफा करो हमसे
हम एक वादे पर उम्र गुजार देते हैं.
वसीम वरेलवी
[1:06PM, 7/23/2015] iqbalhindustani: हालात
हमारी चाहतें सच हैं मगर हालात का दरिया
मुझे इस पार रखता है तुम्हें उस पार रखता है

[10:21AM, 7/24/2015] iqbalhindustani: Dost
Dost hoke bhi na saath nibhane wala,  wahi andaaz hai zaalim ka zamane wala.
[10:25AM, 7/24/2015] iqbalhindustani: दोस्त/दुश्मन
दुश्मनों ने तो दुश्मनी की है
दोस्तों ने क्या कमी की है.
[10:14AM, 7/25/2015] iqbalhindustani: ज़मीर
मिरा ज़मीर बहुत है मुझे सज़ा के लिए
तू दोस्त है तो नसीहत न कर ख़ुदा के लिए।
शाज़ तमकनत
[10:16AM, 7/25/2015] iqbalhindustani: तीर
देखा जो तीर खा के कमीं-गाह की तरफ़
अपने ही दोस्तों से मुलाक़ात हो गई।
-हफ़ीज़ जालंधरी
[10:23AM, 7/25/2015] iqbalhindustani: शख़्स
अपना कशकोल छिपा लो तो सभी हातिम हैं
वरना हर शख्स भिखारी है, जिधर जाओगे.
[10:24AM, 7/25/2015] iqbalhindustani: आबरू
निकलना खुल्द से आदम का सुनते आये थे लेकिन,
बहुत बे-आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले।
-‘ग़ालिब’
[10:25AM, 7/25/2015] iqbalhindustani: दोस्ती
दोस्ती किससे कब हो जाये अंदाज़ा नहीं होता,
ये वो घर है जिसका कोई दरवाज़ा नहीं होता।
[11:39AM, 7/25/2015] iqbalhindustani: लिबास
यहाँ लिबास की क़ीमत है, आदमी की नहीं
मुझे गिलास बड़े  दे शराब कम  कर  दे।
[11:41AM, 7/25/2015] iqbalhindustani: आदमी
घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला ।
~बशीरबद्र
[10:58AM, 7/30/2015] iqbalhindustani: Deevar
Itni barish ho chuki hai rat is deevar par,
kal subah jo dhoop nikli to bhi yeh gir jayegi.
[10:59AM, 7/30/2015] iqbalhindustani: Ghar
Mayyat padi thi bap ki kis ko thi fikra ye, sab lootne ko ghar ke khazane me lag gaye.
[11:00AM, 7/30/2015] iqbalhindustani: Kirdaar
Vo aadmi bhi farishton se kam nahin jisne,
havas ke daur me kirdar ko sanbhala hai.
[11:04AM, 7/30/2015] iqbalhindustani: Qalam
Mera qalam to amanat hai mere logon ki,
mera qalam to adalat mere zameer ki hai.
-FARAZ
[11:08AM, 7/30/2015] iqbalhindustani: Manzil
Jis din se chala hoon meri manzil pe nazar hai,
in ankhon ne kabhi meel ka patthar nahi dekha.
[11:10AM, 7/30/2015] iqbalhindustani: Takalluf
Ai zauk takalluf me hai takleef sarasar,
aaram se vo hain jo takalluf nahi karte.
[11:12AM, 7/30/2015] iqbalhindustani: Sahil/naav
Main to tairak hoon sahil par pahunch jaoonga,
doob jayenge meri naav dubone vale.
[11:14AM, 7/30/2015] iqbalhindustani: Dard
Khanjar chale kisi pe tadapte hain ham ameer,
sare jahan ka dard hamare jigar me hai.
[11:16AM, 7/30/2015] iqbalhindustani: Bete
Agar ma bap khami par zara samjhane lagte hain,
nayi tehzeeb ke bete unhe dhamkane lagte hain.
[12:30PM, 7/31/2015] iqbalhindustani: अक़्स
जिसके लफ़्ज़ों में हमे अपना अक्स मिलता है,
बड़े नसीबों से ऐसा कोई शख़्स मिलता है ।।
[10:10AM, 8/5/2015] iqbalhindustani: ख़ामोशी
हज़ारों जवाबों से अच्छी है ख़ामोशी मेरी,
न जाने कितने सवालों की आबरू रख ली।
[10:16AM, 8/5/2015] iqbalhindustani: फ़रेब
पत्थर उबालती रही एक माँ तमाम रात
बच्चे फरेब खा के चटाई पे सो गये।
[10:21AM, 8/5/2015] iqbalhindustani: नक़ाब
यूँ डाल के फिरते हो नकाबो पे नकाब
बे-एब है चेहरा तो दिखा क्यों नही देते।
[10:25AM, 8/5/2015] iqbalhindustani: आबरू
अहले- दौलत जानते हैं सब गरीबों का भरम,
आबरू ले लीजिये दो रोटियां दे दीजिये ।
[4:45PM, 8/10/2015] iqbalhindustani: Noor
In andheron ka jigar cheer kar noor aayega
tum ho firoun tou moosa bhi jaroor ayega.
[10:12PM, 8/12/2015] iqbalhindustani: दिल
दिल पाक नही तो पाक हो नही सकता इंसान
वरना इबलीस को भी आते थे वजू के फराईज बहुत।
[10:16PM, 8/12/2015] iqbalhindustani: आयना
आयना जब भी हाथो में उठाया करो
पहले देखा करो फिर दिखाया करो.
[9:46AM, 8/13/2015] iqbalhindustani: फ़क़ीरी
इधर रौनक़ मज़ारों पर उधर महलों में सन्नाटा
शहंशाहों की हालत पर फ़क़ीरी मुस्कराती है।
[9:52AM, 8/13/2015] iqbalhindustani: रस्म
आँख उठाकर भी न देखूँ, जिससे मेरा दिल न मिले,
रस्मन सबसे हाथ मिलाना, मेरे बस की बात नहीं।
[10:00AM, 8/13/2015] iqbalhindustani: उस्ताद
लफ़्ज़ों के हेर-फेर का धंधा भी ख़ूब है,
जाहिल हमारे शहर में उस्ताद हो गए।
[9:43AM, 8/20/2015] iqbalhindustani: अपने
हम खुद को बरगद बनाकरजमाने भर को छाँव बाँटते रहे ,
मेरे अपने ही हर दिनमुझको थोडा-थोडा काटते रहे !!
[10:01AM, 8/22/2015] iqbalhindustani: आँख
आँख से आँख मिला बात बढ़ाता क्यों है
तू अगर मुझसे ख़फ़ा है तो छुपाता क्यों है।
[3:21PM, 8/22/2015] iqbalhindustani: रिवाज
गले मिलकर छुरा घोंपने का रिवाज है यहाँ
क्या शहर है कायदे का दुश्मन नहीं मिलता.
[3:22PM, 8/22/2015] iqbalhindustani: Lahoo
Waqt pada gulistan per lahoo humne diya.
Jab bahaar aayee to kahte ho tumhara kaam nahi.
[4:52PM, 8/24/2015] iqbalhindustani: Khuddari
A jazb-a khuddari jhukne na diya toone, likhne ke liye varna sone ke qalam aate.
[4:52PM, 8/24/2015] iqbalhindustani: Faasle
Qareeb aao to shayad hame samajh lo ge,
Ye fasle to ghalatfehmiyan badhate hain.
[4:52PM, 8/24/2015] iqbalhindustani: Bhaaee
Gar bhaee ho zalim to himayat nahi achchhi,
Haq par ho dushman to adavat nahi achchhi.
[4:52PM, 8/24/2015] iqbalhindustani: Bachcha
Mere dil ke kisi kone men ek maasoom sa bachchaa,
Badon kee dekhkar duniya badaa hone se dartaa he.
[4:52PM, 8/24/2015] iqbalhindustani: Chup
vo jo chup reh jaate hen,
Kitna kuchh keh jaate hen.
[4:52PM, 8/24/2015] iqbalhindustani: Khayaal
sar talak to baad me aaee mere dushman kee tegh,
Usse pehle anginat hamle khayaalo par hue.
[4:52PM, 8/24/2015] iqbalhindustani: Saleeqa
Saleeqa yoon to aata hai baqadre zarf insa ko,
Saleeqa jisko kehte hain badi mushkil se aata hai.
[4:52PM, 8/24/2015] iqbalhindustani: Phool/khaar
SACHCHAION KA KOI KHARIDAR HI N THA,
SHAKHON PE PHOOL SOOKH GAYE KHAR BIK GAYE.
[4:52PM, 8/24/2015] iqbalhindustani: Jhooth
Vo jhooth bold rha tha bde sleeqe se,
Mai aitbar n krta to aur kya krta.
[11:19AM, 8/28/2015] iqbalhindustani: Bhookh
Muflisi hisse latafat ko mita deti hai
Bhookh tehzeeb ke sanchey me dhal nahi sakti.
[11:22AM, 8/28/2015] iqbalhindustani: मुफ़लिसी
मैँने कोशिश तो बहुत की थी पढ़ाने के लिए
मुफलिसी ले गई बच्चोँ को कमाने के लिए।
~खुमार बाराबंकवी
[11:26AM, 8/28/2015] iqbalhindustani: Aaina
Aaina moonh pe bura aur bhala kehta hai
Sach yeh hai saaf jo hota hai safa kehta hai.
- 'Daag'
[10:30PM, 8/30/2015] iqbalhindustani: Nafrat
Ye nfrt hai jise lmho me dunya jan leti hai,
Muhbbt ka pta lgne me zmane beet jate hain.
[10:30PM, 8/30/2015] iqbalhindustani: Dosti
zindgibhr hmto unse dosti krte rahe,
Vo hmara ghr jlakr roshni krte rhe.
[10:30PM, 8/30/2015] iqbalhindustani: Rishta
Sirf baqi rh gya belaus rishto ka freb,
Kuchh munafiq hm hue kuchh tum siyasi ho gye.-NASHTAR
[10:30PM, 8/30/2015] iqbalhindustani: Ilzaam
Khuda mehfooz rakhe hr basar ko tangdasti se...
Ye apne saath lekar hajaro ilzaam aati h...
[9:01AM, 9/7/2015] iqbalhindustani: Dhan
Hr do qdm pe mndir o msjid k bavjood,
Dunya tmam dhn ki pujari lagi hme.
[9:01AM, 9/7/2015] iqbalhindustani: Naseehat
Jis k Jordan pe shaitan bhi shrminda hai, vo bhi aae hain krne nseehat hmko.
[9:01AM, 9/7/2015] iqbalhindustani: Jhooth
JO JHOOTH BOLKE KARTA H MUTMAIN SABKO
WOH JHOOTH BOLKE KHUD MUTMAIN NAHI H .
[9:01AM, 9/7/2015] iqbalhindustani: Ghar
Be sro sama hi behtr kt rhi h zindgi,
ghr bna to roz ghr lutne ka dr ho jayga.
[9:01AM, 9/7/2015] iqbalhindustani: Bulandi
Mujhme jb se bulndiya aee,
mere lehje me nrmiya aee.
Hq byani ka ye sila paya,
mere pao me bediya aee.
-dr.madhur
[9:01AM, 9/7/2015] iqbalhindustani: Lehja
Lakh kpdo m chhipaaye koi khud ko lekin,
lehja insan ki auqat bta deta hai.
[9:01AM, 9/7/2015] iqbalhindustani: Darya
Yeh behtr tha k m drya hi rhta,
smndr bnkr tnha ho gya hoon.
[9:01AM, 9/7/2015] iqbalhindustani: Manzil
Bht k hue mnzil p pahuch jaynge khud hi,
rste se agr rhnumao ko hta do.
[9:43AM, 9/14/2015] iqbalhindustani: Adaa
Qeemti qaleen jb se mere ghr m a gye,
behichk ghr m ane jane ki ada jati rhi.
[9:43AM, 9/14/2015] iqbalhindustani: Baarish
Bathroomo ki naee klchr m aisa bnd hoon,
khulke barish me nhane ki ada jati rahi.
[9:43AM, 9/14/2015] iqbalhindustani: Khidki
Tumhe y bnd kmre ki ghutn jeene nhi degi,
agr khidki nhi rkhi h roshndan to rakkho.
-NAVAZ
[9:44AM, 9/14/2015] iqbalhindustani: Shajar
Jo jankar hain mitti s jan lete hain,
shjr kisi ko bhi shjra nhi btata hai.
-m.rana
[3:41PM, 9/16/2015] iqbalhindustani: Baghaavt
Munsifo saleebo se  faisle nhi hote,
besbb bghavt k sanhe nhi hote.
[3:41PM, 9/16/2015] iqbalhindustani: Khuloos
Tere khuloos n rkkha mujhe andhere m,
tera freb mujhe roshni m le aya.
[3:41PM, 9/16/2015] iqbalhindustani: Sar
Neze pr bhi bulnd rha kt k sr mera, lekin jhuka n jhoothe khudao k samne.
[3:41PM, 9/16/2015] iqbalhindustani: Aql
Aql ki ek baat tum logo se karke dekhna,
log lekar aayege hatho me patthar dekhna.
[3:41PM, 9/16/2015] iqbalhindustani: Saleeqa
Kaun si bat kahan kaise kahi jati h,
ye saleeqa ho to hr bat suni jati h.
-VASEEM BLY
[10:04AM, 9/17/2015] iqbalhindustani: Log
Suvidha pr bike log kohni pr tike log,
krte h brgd ki bat gmlo m uge log.
[10:04AM, 9/17/2015] iqbalhindustani: Ilzaam
Sch bat man lijiye chehro p dhool h,
ilzam aeeno p lagana fazool h.
-ANJUM REHBAR
[10:04AM, 9/17/2015] iqbalhindustani: Dukh
Dukh nhi koi k ab uplbhiyon k nam pr, or kuchh ho ya n ho akash si chhati to h.
-dushyant kumar
[10:04AM, 9/17/2015] iqbalhindustani: Drd
Mere to drd bhi oro k kam ate h,
main ro padoon to kaee log muskrate hain.
[9:58PM, 9/18/2015] iqbalhindustani: तहज़ीब
तहज़ीब सिखाती है जीने का सलीक़ा
तालीम से जाहिल की जहालत नहीं जाती।
[6:59PM, 9/20/2015] iqbalhindustani: वस्ल
वस्ल के असबाब पैदा हों तेरी तहरीर से
देख ! कोई दिल न दुख जाए तेरी तकरीर से.
अल्लामा इकबाल
[3:54PM, 9/24/2015] iqbalhindustani: भूख
वह ज़रुरत बहुत बड़ी होगी, जो उसूलों से लड़ पड़ी होगी
चोरी, भूखे ने कर ली मंदिर में, भूख भगवान से बड़ी होगी।
-शरद सुनेरी
[11:31AM, 10/3/2015] iqbalhindustani: सुबह
शाम तक सुबह की नजरों से उतर जाते हैं।
इतने समझौतों पे जीते हैं की मर जाते हैं।
[11:11AM, 10/9/2015] iqbalhindustani: सच
सच की हालत किसी तवायफ सी है,
तलबगार बहुत हैं तरफदार कोई नही
[11:12AM, 10/9/2015] iqbalhindustani: Gareebi
Aur ehsas gareebi ka badhaya na karo,
Jeb khali ho to bazar me jaya na karo.
[11:13AM, 10/9/2015] iqbalhindustani: इश्क
इश्क में इसलिए भी धोखा खानें लगें हैं लोग,
दिल की जगह जिस्म को चाहनें लगे हैं लोग.
[12:31PM, 10/17/2015] iqbalhindustani: ऐब
हज़ारों ऐब ढूँढ़ते है हम दूसरों में इस तरह,
अपने किरदारों में हम लोग,फरिश्तें हो जैसे....!!!!
[11:34AM, 10/24/2015] iqbalhindustani: Bazaar
Bazaar me baithe ho to hairat Kya hai.
Jo bhi dekhega voh poochhega ke qeemat kya hai.
[11:35AM, 10/24/2015] iqbalhindustani: चादर
जिंदगी बस इतना अगर दे तो काफी है …
सर से चादर न हटे , पांव भी चादर में रहे ।
[12:48PM, 10/24/2015] iqbalhindustani: खुद्दारी
खुद पुकारेगी मंजिल तो ठहर जाऊंगा,
वरना मुसाफिर खुद्दार हूं, यूँ ही गुजर जाऊंगा!
[12:48PM, 10/24/2015] iqbalhindustani: घर
घर सजाने का तस्व्वुद तो बहुत बाद का है
पहले ये तय हो कि इस घर को बचाएं कैसे।
-वसीम
[5:41PM, 12/2/2015] iqbalhindustani: डर
बदन के घाव दिखा कर जो अपना पेट भरता है
सुना है वो भिखारी ज़ख्म भर जाने से डरता है
[9:24PM, 12/4/2015] iqbalhindustani: बशर
बशर दुनिया में कोई किसी को जँचता ही नहीं
यहाँ हर शख़्स एक दूसरे से ख़फ़ा ख़फ़ा सा है
[8:08PM, 12/5/2015] iqbalhindustani: Andheraa
Mumkin  hai ki sadiyon bhi nazar aae na sooraj
Is baar andheraa mere  andar se utha  hai .
- Aanis Moin
[12:18PM, 12/15/2015] iqbalhindustani: रिश्ते
किसी से कोई भी उम्मीद रखना छोड़ कर देखो
तो ये रिश्ते निभाना किस क़दर आसान हो जाये
~ वसीम बरेलवी
[3:23PM, 12/26/2015] iqbalhindustani: शेर
हम पर दुःख के पर्वत टूटे तो हम ने दो चार लिखे
उसपर क्या बीती होगी जिसने शेर हज़ार लिखे ।।
हुल्लड़ मुरादाबादी
[3:25PM, 12/26/2015] iqbalhindustani: झूठ/एतबार
जादू है या तिलिस्म तुम्हारी ज़बान में
तुम झूट कह रहे थे मुझे एतिबार था
[4:08PM, 12/26/2015] iqbalhindustani: Fasaadi
Jo deklta hoon wohi bolne ka aadi hoon
Main apne shaher ka sabse bada fasaadi hoon.
[12:17PM, 1/6/2016] iqbalhindustani: आंसू
मुहब्बत के यह आंसू हैं, इन्हें आँखों में रहने दो,
शरीफ़ों के घरों का मसअला बाहर नहीं जाता ।
-वसीम बरेलवी
[2:27PM, 1/8/2016] iqbalhindustani: हक़ीक़त
गुनेहगार हूँ फ़क़त इस हक़ीक़त बयानी का,
लगा कर चाशनी ज़ुबाँ पे हमसे बोला नहीं जाता !!
# राज़ लखनवी #
[10:19AM, 1/15/2016] iqbalhindustani: अदब
[10:19AM, 1/15/2016] iqbalhindustani: उनकी जुबान चलती है तलबार की तरहा
और हम अदब से चुप हैं गुनहगार की तरहा
-हुक्म मदर्सी
[10:20AM, 1/15/2016] iqbalhindustani: सियासत
[10:20AM, 1/15/2016] iqbalhindustani: उनका जो फ़र्ज़ है वो अहले-सियासत जानें
मेरा पैग़ाम मुहब्बत है जहां तक पहुंचे
– जिगर
[10:24AM, 1/15/2016] iqbalhindustani: ख़ुलूस
[10:24AM, 1/15/2016] iqbalhindustani: मिले ख़ुलूस कहाँ ताजिरों की बस्ती में,
वफ़ा तरसती है शहरों में दोस्ती के लिए।
[10:26AM, 1/15/2016] iqbalhindustani: सच
[10:26AM, 1/15/2016] iqbalhindustani: बोलूँ अगर मै झूठ तो मर जायेगा ज़मीर ।
कह दूँ अगर मै सच तो मुझे मार देेंगे लोग ।
[10:27AM, 1/15/2016] iqbalhindustani: आईना
[10:27AM, 1/15/2016] iqbalhindustani: “यहाँ हर कोई रखता है ख़बर ग़ैरों के गुनाहों की
अजब फितरत हैं, कोई आइना नहीं रखता“
[10:49AM, 1/22/2016] iqbalhindustani: रोशनी
[10:49AM, 1/22/2016] iqbalhindustani: Usi ko khalne lagi mere ghar ki raushni,
Mere Chirag se jiska Chirag jalta hai.
[12:14AM, 2/9/2016] Zuby Beti: Mijaz
mijaz e logo se jab jab waqif hoti ja rahi hoo ... mai utni tanhai pasand hoti ja rahi hoo
[11:35AM, 2/12/2016] iqbalhindustani: इंसान
[11:35AM, 2/12/2016] iqbalhindustani: कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है
हमने इंसान न होने की कसम खाई है।
[12:28PM, 2/15/2016] iqbalhindustani: ताल्लुक़
[12:28PM, 2/15/2016] iqbalhindustani: हद से बढ़ जाये ताल्लुक तो गम मिलते हैं,
हम इसी वास्ते अब हर शख्स से कम मिलते हैं।
[11:44AM, 2/24/2016] iqbalhindustani: दोस्त
[11:44AM, 2/24/2016] iqbalhindustani: पहचान मेरी 'शाद', मेरे दोस्तों से है
मैं ख़ुद बुरा सही, मगर अच्छों के साथ हूं
- शाद
[10:58AM, 3/17/2016] iqbalhindustani: शख़्स
ऐसा नहीं कि शख्स
अच्छा नहीं था वो,
जैसा मेरे ख्याल में था,
बस वैसा नहीं था वो.
[11:02AM, 3/27/2016] iqbalhindustani: ग़ुरबत
[11:02AM, 3/27/2016] iqbalhindustani: गुर्बत  ने  सिखा  दी  है  मेरे  बच्चों  को  तहज़ीब
सहमे   हुए    रहते    है   शरारत    नही    करते।
[10:10AM, 3/28/2016] iqbalhindustani: Udaan
[10:12AM, 3/28/2016] iqbalhindustani: KL TK JO BAAT KRTA THA OONCHI UDAAN KI
KMIYAAN GINA RAHA HAI WO HI AASMAN KI.

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