0 आॅप्रेशन सिंदूर के बाद से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। पहलगाम हमले का बदला लेने के लिये जब भारत ने उसके नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल दाग़ीं तो तो वह उनमें से एक को भी इंटरसेप्ट कर नाकाम नहीं कर पाया। उसने अपना रक्षा बजट बेतहाशा बढ़ा दिया है। पाकिस्तान आज आर्थिक रूप से भारी संकट में है। सिंध ुजल समझौता टूटने से पाक में सूखा पड़ने के आसार अभी से दिखने लगे हैं। उसकी कुल खेती लायक ज़मीन में से 70 प्रतिशत पर 263 अमीर सामंत और नवाब रहे बड़े लोगों का कब्ज़ा है। आतंकवाद उसे अंदर ही अंदर खाता जा रहा है। पिछले साल आई भीषण बाढ़ से उसकी एक तिहाई खेती तबाह हो गयी। वहां निर्माण से अधिक आतंक पैदा हुआ है। पाक लगभग दिवालिया हो चुका है। -इक़बाल हिंदुस्तानी
आॅप्रेशन सिंदूर से घबराये पाकिस्तान ने जब पलटवार करने को भारत पर मिसाइल हमला करना चाहा तो उसका एक भी वार कामयाब नहीं हुआ। इन सबको भारत ने नाकाम कर दिया। इससे यह साबित होता है कि पाकिस्तान भारत का सीधी जंग होने पर बराबर का मुकाबला नहीं है। इससे पहले भी पाकिस्तान हम से कई जंग हार चुका है। यही वजह है कि उसने आतंक के ज़रिये एक छिपा हुआ गोरिल्ला यानी छद्म वार का रास्ता चुना है। विश्व के सैन्य विशेषज्ञों का अनुमान है कि पाकिस्तान भारत के साथ सीधे युध्द में तीन से 7 दिन तक ही टिक सकता है। आॅप्रेशन सिंदूर के बाद तीन दिन बाद ही जिस तरह से पाकिस्तान ने भारत के सामने घुटने टेक दिये उससे दुनिया के रक्षा जानकारों का यह अंदाज़ सही साबित भी हो चुका है। इस मामले में पाकिस्तान की चार बड़ी समस्यायें सामने आ रही हैं जिसमें सैन्य, आर्थिक रण्नीतिक और भौगोलिक चुनौती उसके सामने खड़ी हैं। भारत के पास 15 लाख एक्टिव और 11 लाख 50 हज़ार रिज़र्व फौजी हैं जबकि पाकिस्तान के पास 6 लाख 50 हज़ार सक्रिय और 5 लाख सुरक्षित सैनिक हैं। जानकारों का कहना है कि भारत की सेना को लेकर कई लोगों को यह भ्रम रहता है कि उसकी सेना चीन बंगलादेश की सीमा और कश्मीर में विभाजित है जबकि पाकिस्तान की सेना खुद भी ब्लोचिस्तान और खैबर पख्तूनवा के साथ ही अफगानिस्तान और भारत की सीमा पर चार चार जगह बंटी हुयी है।
भारत के पास टैंक 4614 एयरक्राफट 2230 जबकि पाक के पास टैंक 3742 और एयरक्राफट केवल 425 ही हैं। युध्दपोत के हिसाब पाक भारत के सामने कहीं मुकाबले मंे टिक ही नहीं सकता क्योंकि हमारे पास जहां पूरा नौसैनिक बेड़ा है तो पाक के पास छोटा सा पोत है। जो हाथी और चींटी जैसा मुकाबला माना जा सकता है। मिसाइलों के मामले में भी पाकिस्तान भारत से हर मामले में उन्नीस ही साबित होगा। गोला बारूद पाक पूरी तरह से बाहर से आयात करने पर निर्भर है जिससे वह चार से सात दिन तक का ही कोटा रखता है जबकि भारत खुद भी गोला बारूद बनाता है जिससे वह इस मामले में भी पाक पर बहुत भारी पड़ने वाला है। भारत की जीडीपी पाक से दस गुना अधिक है। भारत का रक्षा बजट 83 बिलियन डाॅलर जबकि पाक का मात्र 7 से 8 बिलियन डालर था जो अब 9 बिलियन किया है। पाक में महंगाई की दर 23 प्रतिशत अभी है जो जंग जारी रहने पर वह कई गुना बढ़कर पाक का दिवाला निकाल देगी। जहां तक भौगोलिक और रण्नीतिक लड़ाई की बात है तो भारत की सेना मैदानी और पहाड़ी दोनों तरह के मोर्चो पर लड़ने के लिये प्रशिक्षित रही है जबकि पाक की सेना शुरू से ही रक्षात्मक होने की वजह से जंग चालू होने के कुछ समय बाद ही पीछे हटने पर मजबूर हो जाती है।
1971 की जंग मंे भारत ने पाकिस्तान के एकमात्र करांची पोर्ट की पूरी तरह नाकेबंदी कर दी थी। यह जंग केवल 13 दिन चली था। जबकि हमारे पास रसद तेल और दूसरे जंगी सामान पहंुचाने के कई वैकल्पिक रास्ते मौजूद रहे हैं जिनमें से एक भी पाक के बस का बंद करना नहीं है। इस कमज़ोरी को समझते हुए पाक ने इस बार तुर्की से एक युध्दपोत उधार ले लिया था लेकिन वह उसकी कोई खास मदद कर पाया हो ऐसी कोई ख़बर अब तक सामने नहीं आई है। पाक की सेना भारत से लड़ने को अगर घरेलू मोर्चे से हटती है तो उसके पाले हुए अफगानी आतंकी उसकी सत्ता पर हमला कर सत्ता पलट कर अंदरूनी मसला खड़ा कर सकते हैं। चीन का खुलकर समर्थन हासिल करने का पाक का दावा उसका माॅरल हाई कर सकता है यह किसी हद तक सच है। पाक का जंग में कमजोर पड़ने पर परमाणु हथियार का इस्तेमाल करने की धमकी देना एक तरह से ब्लैकमेल करना है जिसे दुनिया चुपचाप शायद ही देख सकती है। आईएमएफ यानी इंटरनेशनल मोनेट्री फंड ने उसको इस संकट से निकालने के लिये 7 अरब डालर का बेलआउट पैकेज दिया है लेकिन उसकी शर्तें इतनी मुश्किल जनविरोधी और सख़्त हैं कि पाक के सामने एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई वाली हालत है। रेटिंग एजेंसी मूडीज़ का कहना है कि पाक की कर्ज़ चुकाने की क्षमता आज दुनिया के किसी भी आज़ाद और संप्रभु देश के मुकाबले सबसे कमज़ोर है। उसके कर्ज़ का ब्याज भुगतान ही कुल आने वाले राजस्व का आधा है।
2017 का विदेशी कर्ज़ 66 से बढ़कर 100 बिलियन हो चुका है। डाॅलर की कीमत 267 रूपये हो चुकी है जिससे पाक का कर्ज़ बिना और लिये ही बढ़ता जा रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार मात्र 3.67 अरब डालर बचा है जोकि आगामी तीन सप्ताह के लिये ही हैै। उसकी सीमा पर विदेशी माल के ढेर लगे हैं। लेकिन उनकी कीमत चुकाने के लिये विदेशी मुद्रा ना होने से वह माल पाक मंे अंदर प्रवेश नहीं कर पा रहा है। आतंकवाद उग्रवाद चरमपंथ कट्टरपंथ करप्शन सेना का बार बार चुनी हुयी सरकार का तख़्ता पलट करना आर्थिक गैर बराबरी विदेश में काम करने वाले पाकिस्तानियों पर अर्थव्यवस्था का टिका होना आज़ादी के दशकों बाद तक अपना संविधान ना बना पाना लोकतंत्र मज़बूत ना होना सेना पर बजट का बड़ा हिस्सा खर्च करना अमेरिका और खाड़ी के देशों से मिलने वाली बड़ी वित्तीय मदद का बड़ा हिस्सा तालिबान जैसे आतंकी संगठनों को पैदा कर पालना पोसना और भारत की तरह ज़मींदारी उन्मूलन ना कर देश में केवल बेहद गरीब और बेहद अमीर दो ही वर्ग आज तक बने रहना भी पाक की तबाही का कारण बना है।
ऐशियन लाइट की रिपोर्ट बताती है कि पाक ने जेहाद के नाम पर अमेरिका से मोटी रकम हथियार और राजनीतिक मदद लेकर पहले 1979 में रूस को अफगानिस्तान से निकालने कश्मीर को आज़ाद कराने के दावे को लेकर और बाद में 2001 में ओसामा बिन लादेन के 9 बटे 11 के हमले के बाद अलकायदा को ख़त्म करने को लेकर लोहे को लोहे से काटने के लिये अपनी सरज़मीं पर दहशतगर्द पैदा करने का कारखाना लगाया। अब जब ये अभियान खत्म हो चुका है तो पाक को अमेरिकी और अन्य मुल्कों की मदद मिलनी तो बंद हो ही गयी है। साथ ही उसने जिस तालिबान के जिन्न को बोतल से निकाला था। वह आज अफगानिस्तान में मिशन पूरा होने पर पाकिस्तान के गले का सांप बन गया है। कहावत सही है कि बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से आये।
नोट- लेखक पब्लिक आॅब्ज़र्वर के संपादक व नवभारत टाइम्स डाॅटकाम के ब्लाॅगर हैं।
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