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सेकंड बाद शुरू होने वाले जुर्म को तय कैसे किया जायेगा?
0एंटी
रेप बिल में सेक्स की आयु को लेकर विवाद जारी रहेगा!
-इक़बाल हिंदुस्तानी
सरकार ने एंटी रेप बिल विपक्ष की कुछ
आपत्तियों को दूर करने के बाद पास कर दिया है। इसमें एक प्रावधान यह भी है कि अगर
कोई आदमी किसी औरत को 14 सेकंड से अधिक समय तक घूरकर देखता है तो ऐसा करने को
अपराध की श्रेणी में रखा जायेगा। इसके विपरीत एक बार घूरकर देखने को अपराध नहीं
माना जायेगा। सवाल यह है कि कोई लड़का किसी लड़की को 14 सेकंड से अधिक घूरकर देख रहा
है, इसको
कैसे साबित किया जायेगा। खुद आरोपी तो इस मामले मेें समय नोट करेगा नहीं और साथ ही
लड़की भी ऐसा तब तक नहीं करेगी जब तक उसको यह पता ना हो कि सामने वाला उसको 14
सेकंड से अधिक लगातार देखता रहेगा। यह भी ज़रूरी नहीं कि हर लड़की हाथ में घड़ी
बांधकर ही चले। रहा गवाह का सवाल तो वह पीड़ित लड़की पहले गवाह बनाने को किसी अंजान
आदमी से बात कैसे करेगी?
हो सकता है कि लड़की का यह आरोप ही कानून की
नज़र में काफी माना जाये कि उसने 14 सेकंड से अधिक घूरते लड़के को देखा है। क्या
सरकार इस तरह के मामलों में समय की सीमा तय करने के लिये जगह जगह सीसीटीवी कैमरे
लगवायेगी? अजीब
बात यह है कि हमारे देश का माहौल ,हालात
और परंपरायें देखकर सरकार कानून नहीं बनाती है। एक और अजीब बात यह सामने आई कि हमारे
सर्वश्रेष्ठ सांसद चुने गये जनता दल यूनाइटेड के शरद यादव फरमा रहे हैं कि अगर कोई
लड़का किसी लड़की का पीछा नहीं करेगा तो प्यार मुहब्बत कैसे होगी? उनको शायद अंग्रेज़ी के स्टाकिंग शब्द की
जानकारी नहीं है कि उसका मतलब प्यार के लिये पीछा करना नहीं बल्कि किसी को बुरी
नीयत से शिकार बनाने के लिये घात लगाकर पीछा करने से होता है।
ऐसी ही गलतफहमी इस बिल में लिखे ट्रेफिकिंग
शब्द को लेकर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को हो चुकी है जिसको भाजपा नेत्री सुषमा
स्वराज ने स्पश्ट किया था कि यह ट्रांस्फर शब्द नहीं है। यादव कह रहे थे कि इस बिल
के हिसाब से किसी महिला का स्थानांतरण रुकवाने पर भी जेल जाना पड़ सकता है। ऐसे ही
इस बिल में यह पक्षपात बना रहेगा कि अगर लड़की 18 साल से कम उम्र की है और उसके साथ
इसी उम्र का लड़का सहमति से सहवास करता है तो केवल लड़के के खिलाफ रेप का मामला दर्ज
किया जायेगा। मई 2012 तक कानून में यही प्रावधान था कि अगर लड़की 16 साल की भी है
और उसने सहमति से संभोग किया है तो बालिग ना होने के बावजूद ऐसे मामले में लड़के के
खिलाफ कानूनी कार्यवाही नहीं की जायेगी।
हालांकि लिंग के आधार पर हमारे समाज में
महिलाओं के साथ कदम कदम पर पक्षपात होता है लेकिन अब इस एंटी रेप बिल के पास होने
के बाद लिंग के आधार पर उल्टा 18 साल से कम आयु के लड़के के साथ कानून पक्षपात
करेगा कि लड़की की सहमति से संबंध बनाने के बावजूद केवल लड़के के खिलाफ केस दर्ज
होगा। आज के कानून के हिसाब से शादी के
लिये लड़के की आयु 18 और लड़की की 16 होनी ज़रूरी है। इससे पहले शादी की उम्र तय ना
होने से बेमेल विवाह और बाल विवाह खूब होते थे। पहली बार 1955 में जब हिंदू विवाह
अधिनियम बना तब यह आयु सीमायें तय की गयीं। आज लड़कियां और लड़के 18 से पहले ही
सयाने होने लगे हैं। साथ ही लड़कियां उच्च शिक्षा से लेकर नौकरी तक हर क्षेत्र में
हाथ आज़माने लगीं हैं जिससे उनकी शादी की उम्र अपने आप ही 25 से 30 के बीच पहंुच
जाती है।
इसका मतलब यह है कि उनका शरीर सेक्स के लिये
परिपक्व हो जाता है लेकिन कैरियर और बदलते दौर के चलन की वजह से वे शादी नहीं कर
पातीं। अब सवाल यह उठता है कि परंपरावादी शादी से पहले सेक्स की इजाज़त किसी कीमत
पर देने को तैयार नहीं होते जबकि आध्ुानिकतावादी या प्रगतिशील सोच के लोग शादी से
पहले शरीर इस लायक हो जाने पर सुरक्षित संभोग को सहमति से बुरा नहीं मानते। उधर
शरीर और मन का द्वन्द्व समाज और व्यक्ति के बीच एक नई बहस खड़ी कर रहा है। मुस्लिम
देश और समाज तो इसको सख़्ती से मना करता ही है स्वयं हिंदू और अन्य धर्म के मानने
वाले भी इसको अनैतिक ही नहीं बल्कि पाप तक बताते हैं लेकिन एक कड़वी और नंगी सच्चाई
कोई देखने को तैयार नहीं है कि कानून, धर्म
और समाज चाहे जो कहे हमारे देश में भी अब युवा और युवतियां शादी से पहले इस तरह के
सेक्स रिलेशन बड़े पैमाने पर बनाने लगे हैं।
पश्चिमी सभ्यता का असर कहंे या भोगवादी
संस्कृति की देन पिछले दिनों हुए एक सर्वे में विश्वविद्यालयों के 65 प्रतिशत से
अधिक छात्र छात्राओं ने खुलेआम यह स्वीकार किया था कि वे शादी से पहले ही सेक्स कर
चुके हैं और आगे भी जारी रखेंगे क्योंकि वे इसको बुरा नहीं मानते बल्कि आज की
ज़रूरत समझते हैं। उनका यह भी कहना था कि जब किसी से प्यार होता है और मिलना जुलना
होता है तो सेक्स भी हो ही जाता है। इस मामले में अभी यह साफ नहीं है कि लड़के को
जो एक साल का ऑब्ज़र्वेशन पीरियड दिया गया है कि अगर वह दोबारा ऐसा करता है तो उसको
कड़ी सज़ा दी जायेगी तो क्या इसका यह मतलब समझा जाये कि पहली बार में उसको इस अपराध
के लिये मामूली सज़ा देकर या बिना सज़ा दिये ही छोड़ दिया जायेगा?
ऐसे मामलों मंे आरोपी सांसद या विधायक आदि
जनप्रतिनिधि होने पर अब केस दर्ज करने के लिये पहले सरकार से अनुमति लेने की ज़रूरत
नहीं रह गयी है यह इस बिल का एक बड़ा बदलाव माना जाना चाहिये। ऐसे ही पहली बार
बलात्कार की सज़ा पहले की तरह सात साल ही रहेगी लेकिन दोबारा रेप करने वाले को
उम्रकैद की सज़ा मिलेगी और बलात्कार के बाद हत्या का प्रयास करने वाले को फांसी दी
जायेगी। इसके साथ ही सामूहिक बलात्कार के मामले में दस से बीस साल की सज़ा रखी गयी
है। एकतरफा प्यार में पागल प्रेमियांे द्वारा असफल होकर एसिड बढ़ते एसिड हमलों को
रोकने के लिये भी इस बिल में कड़ी सज़ा का प्रावधान किया गया है लेकिन बेहतर होता कि
बाज़ार में खुलेआम बिकने वाले तेज़ाब की बिक्री को सरकार सीमित करती।
पहले महिला को सार्वजनिक स्थानों पर नंगा
करने पर ही सज़ा का प्रावधान था लेकिन अब उसकी मर्जी के बिना उसे कहीं भी अगर नंगा
किया जाता है तो ऐसा करने वालों को सज़ा मिलेगी और साथ ही किसी महिला का एमएमएस
बनाने, छुपकर
देखने, पीछा
करने और घूरकर देखने को अब विपक्ष के विरोध के बाद ज़मानतीय अपराध बना दिया गया है।
पहले इस कानून में रेप की बजाये सैक्सुअल असाल्ट शब्द का इस्तेमाल किया गया था
जिससे यह औरत और मर्द दोनों पर बराबर लागू हो सकता था लेकिन अब केवल महिला के पक्ष में ही इस्तेमाल किया जा
सकता है। इस बिल में जो कमी रह गयी है वह यह है कि अभी भी सेना या पुलिस की कस्टडी
में हुए बलात्कार या उनके द्वारा किये गये रेप के मामलों में सज़ा का विशेष
प्रावधान या सीधी कार्यवाही की व्यवस्था नहीं की गयी है।
0 कोई थकान थी नहीं जब तक सफ़र में था,
मंज़िल जो मिल गयी तो बदन टूटने लगा।
जब तक मैं गै़र था वो मनाता रहा मुझे
मैं उसका हो गया तो वो ही रूठने लगा।।
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