Tuesday, 21 January 2014

आडवाणी का मोदी को आइना

आडवाणी ने मोदी को आईना ही तो दिखाया है?
          -इक़बाल हिंदुस्तानी
0 गुजरात पहले से ही ष्ष्विकसितश् जबकि एमपी बीमारू था!
मोदी से बेहतर षिवराज साबित हुए हैं-आडवाणी     
भाजपा के वरिष्ठ नेता एल के आडवाणी ने यह कहकर कोई चाल या झूठ का सहारा नहीं लिया है कि मोदी ने पहले से विकसित गुजरात को उत्तम बनाया है जबकि मध्यप्रदेश बीमारू राज्य था जिसको वहां के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विकास का रास्ता दिखाया है। साथ ही मोदी के मुकाबले चौहान में वाजपेयी जी जैसी नम्रता और उदारता भी है। आडवाणी खुद पीएम बनना चाहते हैं या नहीं यह तो कोई दावे के साथ नहीं कह सकता लेकिन आडवाणी की यह भविष्यवाणी ज़रूर सही साबित होने जा रही है कि मोदी को पीएम पद का भाजपा प्रत्याशी घोषित करने से यूपीए के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर बन रहा माहौल मोदी बनाम सेकुलरिज़्म की जंग में बदल जायेगा और भाजपा कांग्रेस के खिलाफ बजाये आक्रामक होने के मोदी पर लगे दंगों के दाग की वजह से रक्षात्मक हो जायेगी। जहां मोदी की वजह से भाजपा से एक नया कट्टर वर्ग जुड़ेगा वहीं एक बड़ा उदार वर्ग बाहर भी हो जायेगा। इसके साथ ही हम तो यह भी चेतावनी देंगे कि मोदी के पीएम पद का प्रत्याशी बनते ही कांग्रेस की ही नहीं सभी सेकुलर और क्षेत्रीय दलों की कमज़ोर हो रही हालत अचानक मज़बूत हो जायेगी और सब साम्प्रदायिकता व फासिज़्म रोकने के एक सूत्रीय प्रोग्राम को लेकर आसानी से एक मंच पर आ जायेंगे। गुजरात की अर्थव्यवस्था 100 बिलियन डालर को पार कर गयी है और प्रतिव्यक्ति आय की अन्य राज्यों से तुलना की जाये तो वह भी अधिक रही है लेकिन केवल इन आंकड़ों की बात ना कर अगर बात तथ्य और सत्य की जाये तो यह गुजरात के विकास का एक पहलू है। अगर तस्वीर का दूसरा पहलू देखा जाये तो मोदी के गुजरात मॉडल पर मानव विकास सूचकांक के हिसाब से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। गुजरात साक्षरता दर में केरल तमिलनाडु, महाराष्ट्र और उत्तराखंड तक जैसे पहाड़ी राज्य से भी पीछे है।  इसके बाद भी मोदी को देश का पीएम बनाने को उतावला भाजपा का एक वर्ग यह देखने सुनने का तैयार नहीं है कि मोदी का विकास मॉडल देश का विकास मॉडल नहीं बन सकता।
देश की विकास दर इन सालों में लगातार नीचे जा रही है लेकिन गुजरात की विकास दर दो अंकों में बनी हुयी है और मोदी के दावे के अनुसार उनके राज्य में दो मिनट को भी बिजली भाग जाये तो बड़ी ख़बर बन जाती है। इसका कारण मोदी दस साल पहले मिले राज्य के जर्जर उूर्जा ढांचे का निजिकरण करना मानते हैं लेकिन यहां वह यह भूल जाते हैं कि पूरे देश में ऐसा करना संभव नहीं है। कांग्रेस का विकल्प बनने को जीतोड़ मेहनत कर रही भाजपा के संभावित पीएम पद के प्रत्याशी मोदी भी यूपीए की तरह से आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण और विदेशी निवेश को बिना किसी रोकटोक के देश में लाने के पक्षधर हैं, इससे यह सवाल उठना स्वाभाविक ही है कि जब इन नीतियों से देश का आज भला नहीं हो पा रहा है तो मोदी के इन आर्थिक नीतियों पर ही चलते रहने से देश का विकास कैसे हो सकता है? संघ परिवार का स्वदेेशी का नारा कहां दफन हो गया? गुजरात में सुशासन और सरकारी दख़ल कम से कम होने को तेज़ विकास की कुंजी मानने वाले मोदी 2002 के दंगों में अपनी प्रशासनिक नाकामी या मिलीभगत का आज तक कोई सटीक जवाब नहीं दे सके हैं।यह सच है कि मोदी ने खुद को एक घाघ और चतुर राजनेता के रूप में स्थापित करने में गज़ब की महारत हासिल की है लेेकिन यह एक सेल्समैन की निपुणता ही कही जा सकती है जिससे वह एक तरह से प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी के सर्वेसर्वा ही बनकर रह गये हैं जो हर समय अपनी उपलब्ध्यिों को बढ़ा चढ़ाकर बताने के साथ ऐसा दावा करते नज़र आते हैं जैसे उनके पास कोई जादू की छड़ी हो जिससे वह पीएम बनकर देश की समस्याओं को एक झटके में हल करदेंगे। मानव विकास सूचकांक को पूरी दुनिया में विकास को मापने का उचित पैमाना माना जाता है। इससे यह जानना आसान हो जाता है कि किसी राज्य या देश की जनता के रहन सहन के स्तर में क्या बदलाव आया है? गुजरात इस मामले में भी केरल, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, गोवा, असम को छोड़कर समस्त उत्तर पूर्वी राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु, जम्मू कश्मीर आदि राज्यों से पिछड़ा हुआ है।
जीवन प्रत्याशा आयु में गुजरात दिल्ली;77.9, केरल ;75.1, पंजाब;72.8, महाराष्ट्र ;69.8, हिमाचल ;69.7 और हरियाणा ;69.2 आदि राज्योें से काफी पीछे है। गुजरात मंे जीवन प्रत्याशा आयु मात्र 61.8 वर्ष है। इस मामले में मोदी इतना पिछड़े हुए हैं कि दिल्ली मंे शीला दीक्षित की सरकार ने बाडी मास इंडेक्स के मामले में आबादी का स्वास्थ्य उनसे कई गुना बेहतर कर दिया है। इतना ही इस मामले में गुजरात मिज़ोरम, सिक्किम, मेघालय, केरल ,पंजाब, पश्चिम बंगाल, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और हरियाणा से भी पिछड़ा हुआ है। गुजरात में पांच साल या उससे कम के बच्चो का कुपोषण प्रतिशत 44.7 है। जो देश के कई पिछड़े राज्यों से ज्यादा है। प्रैस कौंसिल के प्रेसीडेंट मार्कंडेय काटजू का यह दावा इस मामले में सही ही प्रतीत होता है कि गुजरात की स्थिति कुपोषण के मामले में दक्षिण अफ्रीकी देशों सोमालिया और इथोपिया से भी बदतर है। बिजली उत्पादन में गुजरात देश में दूसरे स्थान पर माना जाता है लेकिन बिजली कनेक्शन देने में कई राज्यों से पीछे है। दिल्ली में 99.1 पंजाब में 96.6 हिमाचल 96.8 केरल में 94.7 तमिलनाडु में 93.4 आन्ध््राप्रदेश मेें 92.2 फीसद घरों में बिजली का कनेक्शन है। जबकि गुजरात का आंकड़ा इन राज्यों से बहुत पीछे है।
0 फैंकू का गुजरात सबसे बड़ा कर्ज़दार! 45000 बना 176000 किश्त-6
जहां तक पारदर्शिता का सवाल है कैग की रिपोर्ट में मोदी सरकार पर अनियमित्ताओं के गंभीर आरोप लगाये गये हैं। राज्य की साबरमती नदी के कायाकल्प करने को लेकर और राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों की कार्यशैली को लेकर भारत के नियंत्रक एवं महालेखाकार की ओर से बड़े प्रश्नचिन्ह लगाये गये हैं। बड़े उद्योगपतियों को बेजा लाभ पहंुचाने का आरोप भी इस रिपोर्ट में अनेक स्थानों पर लगाया गया है। इस पर भाजपा दोहरा रूख रखती है एक तरफ वह कैग की इन रिपोर्टों को कोई भाव देने का तैयार नहीं है तो दूसरी ओर केंद्र की यूपीए सरकार के खिलाफ इसी कैग की टू जी और कॉमनवैल्थ गैम्स की रिपोर्ट को वे बिल्कुल सही मानते हैं। मोदी का यह नारा भी है कि उन्होंने गुजरात का कर्ज चुका दिया है अब देश का कर्ज चुकाना है लेकिन आंकड़े उनकी पोल खोल रहे हैं। गुजरात में जब उन्होंने सत्ता की कमान संभाली थी तो राज्य पर 45,000 करोड़ कर्ज था लेकिन यह कर्ज आज बढ़कर 1,36,000 करोड़ से भी अधिक हो चुका है जो 2013-14 में बढ़कर 1,76,000 करोड़ हो जायेगा जो प्रति व्यक्ति कर्ज के हिसाब से देश में गुजरात को पहले स्थान पर सुशोभित करेगा। मोदी के लिये यही कहा जा सकता है-
0 सिर्फ एक क़दम उठा था गलत राहे शौक़ में,

  मंज़िल तमाम उम्र तक मुझे ढूंढती रही।।

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