पाकिस्तान के तालिबान आगे भी बने रहेंगे हैवान\
-इक़बाल हिंदुस्तानी
0पेशावर में मासूम बच्चो का हत्याकांड पहला है आखि़री नहीं।
पेशावर के आर्मी स्कूल पर पाकिस्तानी तालिबान के क़हर के बाद भले ही पाकिस्तानी सरकार] विपक्ष और सेना फिलहाल गुस्से में उबल रही हो लेकिन वहां जिस तरह से अफगानिस्तान और भारत के खिलाफ लगातार तालिबानी सांपों को पैदा करके दूध पिलाया गया है उससे लगता नहीं कि इस दर्दनाक और शर्मनाक हादसे के बावजूद आतंकवाद को हमेशा के लिये मौत की नींद सुलाया जा सकेगा। अब तक अमेरिका की तरह पाक भी अच्छे और बुरे तालिबान के नाम पर न केवल अमेरिका से तालिबान को ख़त्म करने की कीमत वसूलता रहा है बल्कि सीध्ेा मुकाबले में हम से कभी भी नहीं जीत सका पाकिस्तान बंग्लादेश के निर्माण का बदला लेने के लिये भी तालिबान को हमारे खिलाफ इस्तेमाल करके नान स्टेट फाइटर्स के बहाने अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ता रहा है।
हालांकि भारत ने कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकवादियों की घुसपैठ काफी हद तक रोककर उसकी सीमा बता दी है लेकिन जब पाकिस्तान ने आस्तीन में सांप पाले हैं तो वे किसी न किसी को तो डसेंगे ही। जब पराया खून नहीं मिलेगा तो वे अपना यानी पाक का ही खून पीने पर आमादा हो रहे हैं। तालिबान का दुस्साहस इतना बढ़ चुका है कि पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो तक को वे ठिकाने लगा चुके हैं। पूर्व प्रेसीडेंट परवेज़ मुशर्रफ़ पर भी जानलेवा हमला तालिबान ने किया था लेकिन एक दर्जन से ज़्यादा लोगों की जान जाने के बाद भी मुशर्रफ खुशनसीब थे जो मौत को चकमा देकर इस हमले में बच निकले थे। बाज़ारों और होटलों ही नहीं नमाज़ पढ़ते बेकसूर लोगों को निशाना बनाना तालिबान का एक अभियान बन चुका है। पेशावर आर्मी स्कूल पर हमला कर 141 बच्चो और टीचर्स की जान लेकर तालिबान ने एक नया मोर्चा खोला है। तालिबान को इस हत्याकांड पर कोई पश्चाताप भी नहीं है।
उसने यह भी चेतावनी दी है कि आगे ऐसे हमले और किये जायेंगे। उसका अगला निशाना राजनेताओं के बच्चे हो सकते हैं जैसा कि उसने धमकी दी है। तालिबान का दावा है कि जंग और प्यार में सब जायज़ होता है। हालांकि तालिबान की इस हैवानी पर सारी दुनिया थू थू कर रही है लेकिन उसका कहना है कि जिस तरह सेना उनकी तलाश में जब उनके घर दबिश देती है और वे नहीं मिलते तो उनके बच्चो और परिवार के बेकसूर सदस्यों को ऐसे ही कत्ल कर दिया जाता है। तालिबान ने पेशावर कांड इसी तरह की सैनिक कार्यवाही का बदला बताया है। तालिबान ने यह धमकी भी दी है कि अगर वज़ीरिस्तान और फाटा में उसके खिलाफ सेना ने अपना मोर्चा बंद नहीं किया और जेल में बंद उसके साथी आतंकियों को फांसी पर लटकाया तो वो पेशावर हत्याकांड जैसे हमलें और तेज़ करेगा।
अब पाकिस्तान की जनता में बच्चो की हत्या के बाद जितना गुस्सा और नाराज़गी है उसी का नतीजा है कि पक्ष विपक्ष और सेना सब तालिबान को पूरी तरह कुचलने का दावा कर रहे हैं। पाकिस्तान ने कभी यह नहीं सोचा कि जिन तालिबानी दहशतगर्दों को वो पाल पोस रहा है अगर कभी वे उसके काबू से बाहर हो गये या अच्छे तालिबान भी बुरे बन गये तो वह उनका क्या करेगा? तालिबान के भी पाकिस्तान में कई ग्रुप हैं जिसमें हिकमतयार जब कमज़ोर हुआ तो हक्कानी ग्रुप मज़बूत होकर उभर आया। इसके बाद जब हक्कानी ग्रुप को तोड़ा गया तो महसूद ग्रुप सामने आ गया और उसने पूर्व पीएम बेनज़ीर को ठिकाने लगाकर अमेरिका और पूरी दुनिया को कड़ा संदेश दिया कि पाकिस्तान में पश्चिमी सोच वालों के लिये कोई जगह नहीं है।
इसके बाद आसिफ ज़रदारी, नवाज़ शरीफ और इमरान खान जैसे नेता तालिबान से शायद डर गये और उन्होंने अंदरखाने तालिबान से गुप्त समझौता करना सत्ता में आने और बने रहने का आसान रास्ता माना। यही वजह रही कि जब पाकिस्तानी जनता और अमेरिका के दबाव में महसूद को ठिकाने लगाया भी गया तो उसके बाद विकल्प के तौर पर फज़लुल्लाह गु्रप सुर्खियों में है जो अब तक का सबसे क्रूर और आक्रामक आतंकी कमांडर माना जा रहा है। हालांकि इस बार सेना अपने ही बच्चो के मारे जाने से बुरी तरह बिलबिलाई हुयी है जिससे पाक सेना प्रमुख जनरल राहिल शरीफ इस घटना के बाद सीधs अफगानिस्तान गये और वहां की सरकार से पाकिस्तान तहरीके तालिबान के कमांडर फ़ज़लुल्लाह को पकड़कर उसके सरेंडर की मांग तक कर डाली लेकिन जानकार बताते हैं इसके पीछे सेना का खेल कुछ और ही है।
पाक सेना खुद तालिबान को शह देकर बुरी तरह बदनाम हो चुकी है अब वह अपने माथे से यह कलंक हटाने के लिये यह दिखाना चाहती है कि वह आतंकवाद का खात्मा करने के लिये कितनी संजीदा है। सेना ने सरकार से पेशावर कांड के बाद 48 घंटों के भीतर 3000 आतंकियों को मौत के घाट उतारने की मांग भी की है। पाक सेना की समस्या इस समय यह है कि वह मंqबई हमले के आरोपी हाफिज़ सईद की तरह पेशावर हमले की साजिश का आरोप भारत पर नहीं लगा सकती क्योंकि खुद तालिबान के प्रवक्ता ने एक बयान जारी करके न केवल इस हत्याकांड की ज़िम्मेदारी ली है बल्कि इस हैवानियत की वजह भी बताई है।
अब देखना यह है कि इस समय तो पाक ने भारत के दबाव में मुंबई हमले के मास्टर माइंड ज़कीउर्रहमान लखवी को ज़मानत मिलने के बावजूद उस पर एमपीओ में नया केस दर्ज कर फिलहाल तीन महीने और जेल में बंद रखने का दिखावा कर दिया है लेकिन वह पाक सेना के भारत को दुश्मन नंबर वन बनाये रखने के दबाव को कैसे बेअसर करता है\ यह देखना दिलचस्प रहस्य होगा। सौ टके का सवाल यह भी है कि अब हालात ऐसे हो गये हैं कि अगर पाक तालिबान को पूरी तरह से खत्म करना भी चाहे तो यह मुमकिन नहीं लगता क्योंकि उसने मदरसों के ज़रिये बड़ी मेहनत और लगन से आतंकवादी सोच को तालिबान के दिमाग में फिट किया है। तालिबान का सबसे ख़तरनाक पहलू आत्मघाती हमले हैं। ऐसे आत्मघाती हमलावर मरने से कतई नहीं डरते और ऐसा करके अपने लिये जन्नत तय मानते हैं।
पाक ने ही तालिबान जैसे उग्रवादियों को मज़हबी घुट्टी में यह पिलाया है कि उनको बुराई के खिलाफ अपनी जान देकर भी जेहाद कामयाब बनाना है। इस जेहाद के मकसद को हासिल करने के लिये गैर मुस्लिम ही नहीं अगर कोई मुस्लिम भी उनके आड़े आता है तो उसको रास्ते से हटाने में उनको ज़रा भी हिचक नहीं होती है। अब देखना यह है कि कब पाकिस्तान पूरी ईमानदारी और दयानतदारी से भारत और अमेरिका को साथ लेकर बोतल से बाहर निकाले अपने ही तालिबानी आतंकवादी जिन्न को नेस्तो नाबूद करने के लिये पूरी ताकत से लड़ता है।
0जिन पत्थरों को हमने अता की थीं धड़कनें]
जब बोलने लगे तो हम ही पर बरस पड़े ।।
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