Thursday 6 June 2024

एग्जिट पोल तेरा मुंह काला

चुनाव घोटाला: एग्ज़िट पोल तेरा मंुह काला, 31 लाख करोड़ का दिवाला!
0 एक कहावत है कि आप कुछ लोगों को सदा मूर्ख बना सकते हैं और सब लोगों को कुछ टाइम मूर्ख बना सकते हैं लेकिन सब लोगों को सदा बेवकूफ़ नहीं बना सकते। इस बार आम चुनाव में जहां अहंकार और मनमानी में डूबी मोदी सरकार झूठ हिंदू मुस्लिम और हिंदुत्व के बल पर 400 पार का नारा लगा रही थी वहीं उल्टा उसकी 60 से अधिक सीटें घट जाने से अपने बल पर बहुमत भी नहीं मिला है। मुसलमानों को सताओ हिंदुओं को डराओ और पूंजीतियों के सहयोग से सत्ता में आओ का फार्मूला जनता ने नकार दिया है। राहुल गांधी के आक्रामक प्रचार व दलित नेता खड़गे के नेतृत्व में कांग्रेस ने अपनी सीटें डबल और इंडिया गठबंधन का वोट 42 प्रतिशत तक पहंुचाकर 235 सीटों के साथ सरकार के सामने कड़ी चुनौती पेश कर लोकतंत्र संविधान और कानून के राज को बल दिया है।    
  -इक़बाल हिंदुस्तानी
अगर यह कहा जाये तो गलत नहीं होगा इस चुनाव से जहां मोदी की नैतिक हार हुयी है वहीं गोदी मीडिया स्पॉंसर्ड एग्ज़िट पोल और कथित स्वायत्त संस्थाओं के सरकार के सामने नतमस्तक हो जाने से शेयर मार्केट मंे छोटे निवेशकों का 4 जून को 31 लाख करोड़ का भारी नुकसान हुआ है। इससे पहले फर्जी नक़ली और पेड एग्ज़िट पोल के झूठे दावों की वजह से 3 जून को भाजपा और एनडीए के 350 से 400 पार होने की हवाई ख़बरों से संसेक्स 1200 अंक चढ़कर अडानी अंबानी जैसे मोदी जी के दोस्तों सहित कई कंपनी के शेयर आसमान छूकर 12 लाख करोड़ का माल कूटने में सफल हुए थे। खुद मोदी और अमित शाह ने वोटों की गिनती वाले दिन 4 जून को शेयर मार्केट चढ़ने का दावा किया था जिससे लाखों छोटे निवेशक अपने हाथ जलाकर 31 लाख करोड़ की पूंजी लुटा बैठे। यह पता नहीं मोदी की कैसी गारंटी थी? इस चुनाव में भाजपा के घटक पहले की तरह लगभग 50 सीट के आसपास जीते हैं। उधर एनडीए के नये घटक टीडीपी ने आंध्रा में भी जीत हासिल की है। अब देखना यह है कि जो मोदी पूरे चुनाव में दलितों पिछड़ों का हिस्सा छीनकर मुसलमानों को देने का विपक्ष पर झूठा आरोप लगाते रहे अब चन्दरबाबू नायडू द्वारा राज्य में सरकार बनने पर मुसलमानों को 4 प्रतिशत आरक्षण और मदरसों को हर माह 10,000 रूपये देने से कैसे रोकते हैं? उधर बिहार में नीतीश कुमार पहले ही मुसलमानों का वोट भी मिलने से उनको खुश करने के लिये समय समय पर विभिन्न योजनाओं का एलान करते रहे हैं। ऐसे में मोदी उनको मुसलमानों का तथाकथित तुष्टिकरण करने से रोकते हैं या खुद उनका समर्थन ठुकराकर अपनी सरकार गिराना पसंद करते हैं? अगर वे इनमें से कोई भी एक कदम नहीं उठाते हैं तो उनका जो कथित मैजिक इस बार उनके अंघभक्तों के सर से उतरना शुरू हुआ है वह आगे और तेजी से खत्म होता जायेगा। मोदी को यह भी नज़र आ रहा होगा कि उनकी बनारस की जीत इस बार आधी से अधिक घटकर डेढ़ लाख तक सीमित हो गयी है। साथ ही वे जिस राम मंदिर को गेम चेंजर समझ रहे थे वहां की अयोध्या वाली फैजाबाद संसदीय सीट भाजपा बुरी तरह से हार गयी है। 
 सारे चुनाव में मोदी अपनी उपलब्धि और आगे की योजनायें न बताकर विपक्ष कांग्रेस राहुल गांधी और हर बात पर मुसलमानों को कोसते रहे लेकिन उनके कोर हिंदू बैंक ने इसे पसंद नहीं किया और बढ़ती महंगाई व बेरोज़गारी और करप्शन पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की है। मोदी सरकार के 50 में से 19 मंत्री चुनाव हार गये हैं। हालांकि भाजपा का वोट बैंक केवल एक प्रतिशत ही घटा है लेकिन उसकी सीटें 63 घट गयीं हैं। इसकी वजह यह है कि उसके खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन ने लगभग 450 सीटों पर वन टू वन मुकाबला बनाकर 2019 में विपक्ष के बिखरे वोटों को एकजुट कर दिया है। यही वजह है कि खुद कांग्रेस का वोट मात्र 19 से 21 फीसदी होने से मात्र दो प्रतिशत बढ़ने से उसकी सीटें 52 से दोगुनी यानी लगभग 100 हो गयीं हैं। यूपी में तो भाजपा की हालत पतली हो गयी है। यहां पहले विपक्ष उससे 11 फीसदी वोट से पीछे था लेकिन अब वह मात्र एक परसेंट कम रह गया है। यहां मुसलमानों के साथ दलितों और पिछड़ों के एक बड़े वर्ग का आना भाजपा की लुटिया डुबोने में सफल रहा है। यह सोशल इंजीनियरिंग सपा के अखिलश की कामयाब रही है। इसमें चुनाव बाद सीएम पद से मोदी द्वारा योगी को हटाने की चर्चा भी तड़का लगा गयी जिससे बड़ी संख्या में राजपूत ठाकुर और कई सवर्ण जातियों ने या तो वोट ही नहीं किया या फिर इंडिया गठबंधन के साथ चले गये। कांग्रेस ने इस चुनाव मंे अपना वोट पिछले चुनाव के 12 करोड़ से बढ़ाकर 13.55 करोड़ करने और राहुल गांधी को मोदी से अधिक समझदार ईमानदार और काबिल नेता साबित करने में भी किसी हद तक सफलता प्राप्त की है। जबकि भाजपा कुल मतदान में अपना हिस्सा इस बार थोड़ा सा कम होने के बावजूद 2019 के अपने कुल वोट 22.90 करोड़ से बढ़ाकर 23.26 करोड़ कर सकी है। मोदी सरकार से शिक्षित बेरोज़गार बार बार परीक्षा का पेपर लीक होने से भी बुरी तरह खफा नज़र आया। किसान एमएसपी ना मिलने और उनकी आय वादे के मुताबिक 2022 मंे डबल नहीं होने से पहले ही आक्रोषित चल रहा था। भाजपा को लोकदल से गठबंधन का भी खास लाभ नहीं हुआ। उल्टा लोकदल अपनी दोनों सीट जीतनेे में सफल हो गया। बसपा इस चुनाव में शून्य सीट व 9 फीसदी वोट पर सिमटकर खत्म हो गयी है। आगे उसकी जगह चन्द्रशेखर की आज़ाद समाज पार्टी भर सकती है क्यांेकि मुसलमान दलितों के साथ एकजुट होने को बेकरार हैं। यह नगीना सीट पर असपा की बंपर जीत से संकेत मिल गये हैं। 
इस चुनाव का एक पहलू यह भी है कि जिन दलों जैसे वाईएसआर कांग्रेस बीजू जनतादल टीआरएस बसपा और पीडीपी आदि ने किसी गठबंधन का साथ नहीं दिया वे सब निबट गये। ये सब भाजपा से चोरी छिपे गलबहियां करते रहे हैं। आगे देश में दो ध्रुवीय राजनीति भाजपा व कांगेस के नेतृत्व में चलने के प्रबल आसार नज़र आ रहे हैं। मोदी भाजपा संघ और एनडीए के घटक इस संदेश को जितना जल्दी समझ लें बेहतर होगा कि आगे उनको बढ़ती आर्थिक असमानता बेरोज़गारी भ्रष्टाचार पक्षपात ईडी सीबीआई इनकम टैक्स चुनाव आयोग मीडिया पुलिस प्रशासन कुछ जजों एनआरसी कॉमन सिविल कोड कट्टर हिंदुत्व और विपक्षी नेताओं व मुसलमानों को चुनचुनकर टारगेट करने से बचना होगा वर्ना एनडीए सरकार के घटक पांच साल पूरे होने से पहले ही उनको टाटा बॉय बॉय करके इंडिया गठबंधन में जाकर वैकल्पिक सरकार बना सकते हैं जिसके लिये विपक्ष हर टाइम ही उनके लिये पलक पांवड़े बिछाये तैयार मिलेगा।        
0 वो आफ़ताब लाने का देकर हमें फ़रेब,
 हमसे हमारी रात के जुगनू भी ले गया।
नोट-लेखक नवभारत टाइम्स डॉटकाम के ब्लॉगर और पब्लिक ऑब्ज़र्वर अख़बार के चीफ एडिटर हैं।

No comments:

Post a Comment