Friday, 4 September 2015

कट्टर बनाम तर्कशील

कल तक हम जिस कट्टरपंथ और तालिबानी सोच के लिये पाकिस्तान को कोसते थे आज वो ही संकीर्णता और असहनशीलता हमारे यहाँ पाँव पसार रही है...
अब इतना कहना बाक़ी है कि आज के समाज के सोचने समझने का जो स्तर या वजह है
अगर आप लोगों का ब्रेनवाश किये बिना अपनी बात सिर्फ अभिवक्ति की आज़ादी के नाम पर अपने तरीके से दोहराये जाएंगे तो तर्कशील लोगों के लिये मुश्किलें और हत्याएं और बढ़ती जाएंगी।
कट्टर और संकीर्ण तत्व बाक़ायदा नफ़रत और हिंसा फैलाने के लिये सुनियोजित काम कर रहे हैं
तर्कशील लोग जनता में जागरूकता और वैज्ञानिक सोच फैलाने के लिये क्या कर रहे हैं???
कट्टरता के क्या क्या नुकसान हैं
और उदारता के क्या क्या फ़ायदे हैं
ये बात आम आदमी को अभियान चलाकर समझानी होगी। इस में सियासी दख़ल रोकना होगा।
बिना माइंडसेट बदले आपकी सारी अच्छी और प्रगतिशील बातें किताबों और बयानों तक सीमित होकर रह जाएंगी।
इसलिये अब वक़्त आ गया है हम लोग भी समाज को जगाने उसे ठीक रास्ता दिखाने और बहकाने से बचाने को वैचारिक संघर्ष को तेज़ करें चाहे इसमें हमें बड़ी से बड़ी क़ुरबानी ही क्यों न देनी पड़े
जैसी देश की आज़ादी में दी थी
कौन कौन तैयार है बताओ ❓
आज भरे चौराहे पर कोई जुर्म होता है
कोई रोकता टोकता नहीं ये तो अलग बात है
घटना के बाद गवाह नहीं बनता कोई
इसिलिय लोगों को केस के लिये फ़र्ज़ी गवाह लाने पड़ते हैं

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