पाकिस्तान की शायरा फ़हमीदा रिआज़ की कविता एक के बाद एक तीन रेशनलिस्ट्स नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पंसारे और एम् एम् कालबुरगी की हत्या के बाद याद आ रही है.
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तुम बिलकुल हम जैसे निकले
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अब तक कहाँ छुपे थे भाई
वो मूर्खता वो घामड़पन
जिसमे हमने सदी गंवाई
आखिर पहुंची द्वार तुम्हारे
अरे बधाई बहुत बधाई
प्रेत धरम का नाच रहा है
कायम हिन्दू राज करोगे?
सारे उलटे काज करोगे
अपना चमन दराज़ करोगे
तुम भी बैठे करोगे सोंचा
पूरी है वैसी तैयारी
कौन है हिन्दू कौन नहीं है
तुम भी करोगे फतवे जारी
होगा कठिन यहाँ भी जीना
रातों आ जायेगा पसीना
जैसी तैसी कटा करेगी
यहां भी सबकी साँस घुटेगी
कल दुःख से सोंचा करती थी
सोंच के बहुत हँसी आज आई
तुम बिलकुल हम जैसे निकले
हम दो क़ौम नहीं थे भाई !
भाड़ में जाए शिक्षा-विक्षा
अब जाहिलपन के गुण गाना
आगे गड्ढा है ये मत देखो
वापस लाओ गया ज़माना
बश्ट (practice) करो तुम्हें आ जायेगा
उलटे पाँव चलते जाना
ध्यान न मन में दूजा आये
बस पीछे ही नज़र जमाना
एक जाप सा करते जाओ
बारम-बार यही दोहराओ
कितना वीर महान था भारत
कैसा आलिशान था भारत
फिर तुमलोग पहुँच जाओगे
बस परलोक पहुँच जाओगे
हम तो हैं पहले से वहाँ पर
तुम भी समय निकालते रहना
अब जिस नरक में जाओ वहाँ से
चिट्ठी-विट्ठी डालते रहना.
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