Sunday, 24 April 2016

Indian economy

[9:20PM, 7/26/2015] Iqbal Hindustani: उधोगों के लिये भूमिग्रहण
            का हश्र
SEZ जैसा होगा..........
CAG की रिपोर्ट बताती है-
2007 से 2013 के बीच स्पेशल इकोनोमिक ज़ोन के लिये थोक में किसानो की 45635 हेक्टेयर ज़मीन छीनी गयी। जिन 576 परियोजनाओं को SEZ के नाम पर मंज़ूरी दी गयी थी उनमें से 392 ही रजिस्टर्ड हुईं। इनमें से भी सिर्फ 170 में ही काम शुरू हुआ। इनमें से भी मात्र 3.8% ही कुल निर्यात का हिस्सा दे पाये हैं ।
सवाल ये है बाक़ी ज़मीन का क्या हुआ?
आधी से ज़्यादा खाली पड़ी है।
बड़ा हिस्सा डेवलपर्स ने कब्ज़ा लिया है जो वहां मकान स्कूल और अस्पताल बनाकर चांदी काट रहे हैं।
सबसे दुखद और आक्रोश की बात इसमें से अधिकाँश ज़मीन का किसानों को मुआवज़ा भी नहीं मिला है जिस से या तो वे खेत मज़दूर बन गए हैं या आत्महत्या करने को मजबूर हैं ��������
[9:20PM, 7/26/2015] Iqbal Hindustani: भारतीय अर्थव्यवस्था:एक नज़र
GDP में कितना योगदान
सर्विस सैक्टर 57%
रोज़गार-27%
मैन्युफैक्चरिंग 18.4%
रोज़गार-24.3%
कृषि क्षेत्र-14.4%
रोज़गार-49%
[9:20PM, 7/26/2015] Iqbal Hindustani: मोदी सरकार को अमीरों की एजेंट बताकर बदनाम किया जा रहा है
जबकि इस साल कॉर्पोरेट सैक्टर को मात्र 572923 करोड़ ₹
जबकि जनता को 220972 करोड़ की "भारी" सब्सिडी दी गयी है।
साथ ही सरकार जनता को दी जा रही सब्सिडी से लोगों के जीवन स्तर में कोई सुधार न आने से इसकी समीक्षा यानी धीरे धीरे खत्म करने की सोच रही है।
तो इसमें क्या बुराई है?
कमबख्त "झूठा" प्रचार कर रहे हैं ��������

No comments:

Post a Comment