Thursday 26 September 2024

पेजर में धमाका

पेजर धमाका: खरीदने के बाद भी मोबाइल पर कं0 का कंट्रोल?
0 हमास के बममेकर याहिया अब्बास के मोबाइल पर 5 जनवरी 1996 को उसके अब्बा की काॅल आई। उसने जैसे ही काॅल रिसीव की उसके सेल फोन में ज़ोरदार धमाका हुआ और उसकी मौत हो गयी। बाद में इस्राइली सुरक्षा एजेंसी शिन बेट ने बताया कि याहिया के मोबाइल में आरडीएक्स लगाया गया था जिसको रिमोट से आॅप्रेट करके विस्फोट किया गया। उस दिन के बाद से ही हमास मोबाइल की जगह सुरक्षित समझे जाने वाले पेजर प्रयोग करने लगा था। आरोप है कि इस्राइल ने इनमें भी अपनी शैल कंपनी के ज़रिये बैट्री के साथ तीन ग्राम विस्फोटक लगाने मंे कामयाबी हासिल कर पिछले दिनों लेबनान में एक साथ 3000 पेजर में विस्फोट कर 9 लोगांे की जान ले ली जबकि 2750 लोग घायल हैं। सवाल है कि क्या आज के दौर में मोबाइल सेफ है?      
  *-इक़बाल हिंदुस्तानी*
लेबनान में एक साथ हज़ारों पेजर्स में एक संदेश भेजकर विस्फोट कर हज़ारों लोगों के घायल होने और दर्जनों के मारे जाने के बाद पूरी दुनिया में यह सवाल उठ रहा है कि क्या मोबाइल में भी इसी तरह से विस्फोट कर किसी दुश्मन देश के लोगों को नुकसान पहंुचाया जा सकता है? तो इसका जवाब है कि तकनीक के ज़रिये आजकल कुछ भी मुमकिन है। सवाल यह भी है कि ताइवान से विस्फोटक पीएनटी लगे पेजर हिजबुल्लाह के पास बिना चैकिंग कैसे पहुंच गये? पूरी दुनिया में हर देश के पोर्ट एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशनों पर स्कैन मशीन लगी हैं जो खासतौर पर विस्फोटक सामाग्री हथियार और नशीली चीजे़ं कुछ सेकंड में पकड़ लेती हैं। इससे यह भी लगता है कि इस मामले में कुछ और देश भी शामिल रहे होंगे? आने वाले समय में अगर जंग में परंपरागत हथियारों और इंसानों का इस्तेमाल न कर तकनीक का ऐसा ही खतरनाक कोई नया प्रयोग कोई देश करे तो हैरत की बात नहीं होगी। जहां तक मोबाइल का सवाल है। यह सब जानते हैं कि सेल फोन इंटरनेट के बिना काम नहीं करता। यही वजह है कि सरकार जब चाहती है कानून व्यवस्था के नाम पर आपके मोबाइल को नेट बंद कर डब्बा बना देती है। यह भी सबको पता है कि बिना बैट्री के भी आपका मोबाइल काम नहीं करता है। लेकिन शायद यह कम लोगों को पता होगा कि खरीदने के बाद भी आपके मोबाइल पर आपका पूरा कंट्रोल नहीं होता है। 
हैकर्स की तो बात छोड़ ही दीजिये आपका मोबाइल बनाने वाली कंपनी ही कानूनी तरीके से आपके मोबाइल में अपडेट भेजकर उसके साॅफ्टवेयर को काबू करती रहती है। ज़ाहिर बात है कि वह चाहे तो आपके मोबाइल को अपने दूर स्थित आॅफिस से ही जाम कर सकती है? अभी हाल ही में कुछ कंपनी के मोबाइल में बड़े पैमाने पर अपडेट करने के बाद स्क्रीन पर हरी सफेद लाइनें आने की थोक में शिकायत आ रही है। कुछ कंपनी इसमें अपना मैनुफैक्चरिंग फाॅल्ट मानकर नाम मात्र का शुल्क लेकर इस फाॅल्ट को सुधार भी रही हैं। लेकिन कुछ ने स्क्रीन निशुल्क बदलने के नाम पर हाथ खड़े कर उल्टा दोष कस्टमर के सर ही यह कहकर मढ़ना शुरू कर दिया है कि आपने मोबाइल को लापरवाही से ज़मीन पर गिराया होगा। इसके बाद कई उपभोक्ता नया मोबाइल लेने को मजबूर हो जाते हैं। यह कंपनी की उन चालों में से एक चाल हो सकती है जिसमें वे कुछ समय पुराने मोबाइल में कुछ एप चलने से रोक देती है जिससे उपभोक्ता ना चाहते हुए नया मोबाइल खरीदे। चलिये यह मामला तो उपभोक्ता और कंपनी का आर्थिक विवाद का है जैसे तैसे हल हो ही जायेगा। 
लेकिन इससे आपके उस बुनियादी सवाल का जवाब मिल जाता है कि मोबाइल कितना सुरक्षित है? जिस तरह से ठग और अपराधी किसी का मोबाइल हैक कर उसको चूना लगा देते हैं क्या मोबाइल निर्माता कंपनी भी अपना ही बनाया मोबाइल लोगों को बेचने के बाद भी अपने नियंत्रण में रखती हैं? लगभग सभी नये मोबाइल में कंपनियां अपनी तरफ से कुछ ऐसे एप भी इंस्टाल करके ज़बरदस्ती दे रही हैं जिनसे मोबाइल की सिक्योरिटी हमेशा ख़तरे में रहती है। अजीब बात यह है कि आप अगर इन एप को डिलीट करना चाहें तो आपका मोबाइल चेतावनी देता है कि अगर आपने ऐसा किया तो फिर मोबाइल पहले की तरह नाॅर्मल काम नहीं करेगा। यह अजीब मनमानी है कि मोबाइल आपका और उसमें कौन से एप काम करेंगे यह कंपनी तय करेगी। अगर आप उनसे छुटकारा चाहें तो मोबाइल काम नहीं करेगा। पेगासस एक जासूसी साॅफ्टवेयर है जो किसी के भी मोबाइल में केवल एक काॅल किये जाने से आॅटोमैटिक ही इंस्टाल हो जाता है। इसके बाद आपके मोबाइल का कंट्रोल सरकार के पास चला जाता है। आप सोच रहे होंगे सरकार को यह सब पता होगा तो वह मोबाइल कंपनियों को यह सब करने क्यों दे रही है? 
      2017 में एप्पल के आई फोन 6 के अपडेट आने के बाद उनके बहुत अधिक स्लो चलने की शिकायतें पूरी दुनिया में सामने आने लगी थीं। उस समय आरोप लगा था कि कंपनी ने यह शरारत जानबूझकर अपना नया आईफोन 7 बेचने की नीयत से की है। यह मामला अमेरिका में कोर्ट में गया और दिसंबर आते आते कंपनी को उसी साल यह स्वीकार करना पड़ा कि हां उसने आईफोन 6 की स्पीड साफ्टवेयर अपडेट से खुद ही स्लो की थी जिससे उसकी पुरानी बैट्री पर अधिक लोड ना पड़े और वो चलना बंद ना कर दे। लेकिन उसकी इस दलील को अदालत ने नहीं माना और उसको ग्राहकों को निशुल्क इन पुराने फोन को ठीक करने के आदेश दिये। एप्पल की इससे दुनिया के अनेक देशों में बदनामी और कानूनी कार्यवाही बढ़ते जाने से बहुत किरकिरी होने लगी तो कंपनी पुराने फोन की बैट्री अपने खर्च पर बदलने को तैयार हुई। फ्रांस में भी यह नियम है कि अगर किसी मोबाइल कंपनी ने किसी तरह से अपने बेचे गये मोबाइल में कोई कमी पैदा की तो उसको अपनी कुल टर्न ओवर का पांच प्रतिशत हर्जाना सरकार को देना होगा। इटली में सैमसंग के मोबाइल में भी अपडेट के बाद कुछ इसी तरह की शिकायतें सामने आने लगी थीं। 
इसके बाद वहां की सरकार ने जांच कराकर कंपनी को दोषी पाया और कंपनी पर जुर्माना लगा दिया। फोन कंपनियां मोबाइल बेचने के बाद अपने विज्ञापन भी बेचे हुए फोन में बिना खरीदार की अनुमति के भेजती रहती हैं। साथ ही अपडेट भेजकर स्क्रीन खराब होने पर उसको निशुल्क सही करने की बजाये हार्डवेयर डैमेज होने का बहाना बनाकर ठीक करने से साफ मना कर देती हैंे। हमारी सरकार को भी चाहिये कि मोबाइल कंपनियों के हितों के साथ ही उपभोक्ताओं की सुरक्षा व हित भी देखे।
 0 लेखक नवभारत टाइम्स डाॅटकाम के ब्लाॅगर और पब्लिक आॅब्ज़र्वर अख़बार के चीफ एडिटर हैं।

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