कांग्रेस नहीं समझती देश का मिज़ाज, लंबा चलेगा भाजपा का राज?
0 इंडियन पाॅलिटिकल स्ट्रेटेजिस्ट और चुनावी विश्लेषक प्रशांत किशोर ने कहा है कि मोदी अगर आने वाले एक दो चुनाव के बाद पीएम नहीं भी बने तो भी भाजपा अगले कई दशक तक भारत की राजनीति के केंद्र में बनी रहेगी। उनका यह भी कहना है कि राहुल गांधी देश का मिज़ाज नहीं समझ पा रहे हैं। उधर बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी कुछ ऐसे ही आरोप कांग्रेस पर लगाते हुए अपनी पार्टी टीएमसी का राज्य से बाहर विस्तार शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि कांग्रेस की कमियों ग़ल्तियों और नालायकी से मोदी लगातार मज़बूत होते जा रहे हैं। लेकिन इधर यूपी में प्रियंका गांधी और हाल ही में राहुल गांधी ने बहुत कुछ नया व अच्छा भी किया है।
-इक़बाल हिंदुस्तानी
2014 के चुनाव में भाजपा से करारी हार के बाद से कांग्रेस को ऐसा लग रहा था कि वह एक बार फिर 1977 1989 और 1996 में उसकी हार के बाद बनी जनता पार्टी जनता दल और संयुक्त मोर्चा सरकार के कार्यकाल पूरा किये बिना गिरने के बाद एक बार फिर से सत्ता में मोदी सरकार की ग़ल्तियों के कारण आराम से वापसी कर लेगी। लेकिन वह यह भूल गयी कि 1998 में वाजपेयी की सरकार 13 महीने बाद ही गिर जाने के बाद वह सत्ता में नहीं लौट सकी थी। उल्टा वाजपेयी की एनडीए सरकार न केवल एक बार फिर से बनी बल्कि वह पूरे 5 साल चली भी थी। यह सच है कि मोदी सरकार के पास उलब्ध्यिों के नाम पर कम लेकिन चुनाव जीतने की रण्नीति के लिये ढेर सारे तौर तरीके मौजूद रहे हैं। यही वजह है कि 2019 में मोदी सरकार न केवल एक बार फिर से जीती बल्कि उसके वोट और सीटें भी पहले से बढ़ गयीं। प्रशांत किशोर और ममता बनर्जी अगर आज कांग्रेस को आईना दिखा रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि वे कांग्रेस के बजाये भाजपा या मोदी को सपोर्ट कर रहे हैं। सच तो यह है कि वे दीवार पर लिखी इबारत पढ़ने की हिम्मत दिखा रहे हैं। दरअसल आज की भाजपा ने जिस तरह से मोदी के नेतृत्व में दो दो बार केंद्र और कई बार कई राज्यों का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से ही जीतकर धीरे धीरे लोकतंत्र को ही ख़त्म करना शुरू कर दिया है। उस सोची समझी योजना का कोई जवाब यानी विकल्प कांग्रेस और अन्य विरोधी दल अब तक नहीं खोज पा रहे हैं। मिसाल के तौर पर भाजपा ने सभी सेकुलर दलों को हिंदू विरोधी देश विरोधी और मुस्लिम समर्थक साबित करने की एक सोची समझी कांगे्रसमुक्त भारत की मुहिम लंबे समय से शुरू कर रखी है। भाजपा हिंदू साम्प्रदायिकता कट्टरता अंधविश्वास और मुस्लिम विरोधी माॅब लिंचिंग लव जेहाद सीएए एनआरसी पक्षपात अन्याय को राष्ट्रवाद देशभक्ति हिंदूराष्ट्र का चोला पहनाकर बुनियादी मुद्दों रोज़गार शिक्षा स्वास्थ्य विकास सस्ता न्याय कानून व्यवस्था करप्शन कालाधन महंगाई और दूसरी बड़ी समस्याओं से एजेंडा बदलने मंे आज तक सफल है। उसने पूरे देश में अपने 30 से 40 प्रतिशत से अधिक के वोटबैंक में जहां तरह तरह लोगों में से कुछ को कांगे्रस के विकल्प अन्य सेकुलर व जातिवादी दलों क विरोध मुसलमानों के तथाकथित तुष्टिकरण को ख़त्म कर उनको दूसरे दर्जे का डरा हुआ मजबूर नागरिक बनाने तो कुछ को शौचालय उज्जवला जलनल सौभाग्य आयुष्मान किसान सम्मान पीएम आवास योजना पाकिस्तान विरोध राममंदिर कश्मीर से धारा 370 खत्म कर उसे केंद्र शासित राज्य बनाने तो कुछ को दिवाली पर सरकारी पूजापाठ दिये जलाना कांवड़ और कुंभ मेले दशहरे पर सरकारी रामलीला पाकिस्तान को घर में घुसकर मारने का दावा विदेशों में भारत का डंका बजने का झूठा प्रचार वोटबैंक तैयार किया है। ऐसे में 2024 में भी तमाम नुकसान उठाकर भी भाजपा को बार बार चुनाव जिताने वाला एक बड़ा वर्ग कांग्रेस के साथ आने को तैयार नहीं होगा। आज देश में मीडिया ही नहीं न्यायपालिका तक कई मामलों में सरकार के साथ खड़े नज़र आते हैं। काॅरपोरेट और धन्नासेठ इस हाथ दे उस हाथ ले की नीति पर चलते हुए मोदी सरकार से लगभग सारे सरकारी संसाधनों को लूटने तेज़ी से निजीकरण कराने में सफल हैं। देश मंे पहली बार कारपोरेट टैक्स इनकम टैक्स से कम जमा हुआ है। देश की आधी से अधिक संपत्ति एक प्रतिशत पूंजीपतियों के हाथ में सीमित हो चुकी है। भाजपा सरकार न केवल पुलिस व नौकरशाही बल्कि सीबीआई एनआईए एनसीबी ईडी और अन्य सरकारी एजंसियों मीडिया व राजनीतिक चंदे का इस्तेमाल विपक्ष अपने विरोधियों निष्पक्ष पत्रकारों लेखकों आंदोलनकारी किसानों दलितों अल्पसंख्यकों एनजीओ जनसंगठनों सेकुलर हिंदुओं अपवाद के तौर पर बचे रह गये अख़बारों चैनलों सोशल मीडिया प्लेटफाॅम्र्स के खिलाफ खुलकर कर रही है। कांग्रेस यह नहीं समझ पा रही है कि आज देश में लेविल प्लेयिंग फील्ड नहीं बचा है। कांग्रेस यह मानने को तैयार नहीं है कि उसने अपने कार्यकाल मंे जो कुछ किया उससे भी आज भाजपा को यहां तक पहुंचने की ज़मीन मिली है। कांग्रेस मुसलमानों का मज़हबी तुष्किरण शाहबानोें जैसे मामलों में कर रही थी। वह आज भी उसे भूल नहीं मानती। कांग्रेस ने बाबरी मस्जिद का ताला खुलवाकर हिंदू साम्प्रदायिकता जिन्न बोतल से बाहर निकाला वह स्वीकार करने की हिम्मत नहीं दिखाती है। कांग्रेस ने ब्रहम्णों के नेतृत्व में मुसलमान और हरिजनों के बल पर देश में कई दशक तक राज कर न केवल इन दोनों वर्गों का कोई खास भला नहीं किया बल्कि कुल आबादी के 50 प्रतिशत से अधिक पिछड़ों किसानों नौजवानों और गरीबों के कल्याण के लिये नारे से आगे बढ़कर कोई ठोस योजना नया विज़न और दूरगामी प्रोग्राम नहीं बनाया जिससे आज उसको फिर से वापस सत्ता मेें लाने को समाज के किसी वर्ग में कोई हलचल ना होकर जुम्मा जुम्मा आठ दिन की आम आदमी पार्टी या क्षेत्रीय दलों के लिये भाजपा का विकल्प बनने के आसार नज़र आ रहे हैं। अब देखना यह है कि कांग्रेस हाल ही में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की तेज़ होती गतिविधियों के साथ ही भाजपा नहीं पूरे संघ परिवार के प्रोपेगंडे आरएसएस जैसे वैकल्पिक संगठन हिंदू कार्ड और काॅरपोरेट व मीडिया का क्या विकल्प तलाशती है।
0लेखक नवभारतटाइम्सडाॅटकाम के ब्लाॅगर व स्वतंत्र पत्रकार हैं।
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