Sunday, 8 January 2017

अबु और अब्बा

*अबु बचा पाते ना किसी के अब्बा*

इक़बाल हिन्दुस्तानी  

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अबु आज़मी समाजवादी पार्टी या देश के इतने बड़े नेता नहीं है कि हम उनके लिये अपना ब्लॉग लिखकर समय और कीबोर्ड पर अपनी उंगलियों को ज़हमत देना गवाराह करते। लेकिन यहां सवाल नये साल के स्वागत समारोह के बाद बंगलूर में घटी उस महिला विरोधी सोच का है। जिसका अबु एक तरह से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। *दरअसल देश में ऐसा काफी बड़ा वर्ग हैै। जिसका मानना है कि महिलाओं के साथ अगर छेड़छाड़ बलात्कार और गुंडागर्दी होती है तो उसके लिये वे ही दोषी होती हैं। यह ठीक उसी तरह की सोच है जिस तरह कुछ मुसलमान अपनी कट्टरता दकियानूसी परंपराओं और फ़तवों की वजह से विकास और उन्नति के हर क्षेत्र मेें पिछड़ने का आरोप अमेरिका इस्राईल और हिंदुओं आदि पर पक्षपात व साज़िश बताकर लगाते रहे हैं।*

 

इस तरह की सोच का सबसे बड़ा नुकसान उन लोगों को ही होता है। सवाल यह है कि अगर कुछ पल को अबु का यह सुझाव मान भी लिया जाये कि हर महिला अपने घर से एक चौकीदार यानी अपने अब्बा भय्या बेटे और खाविंद को लेकर ही निकलेगी तो उनसे पूछा जाना चाहिये कि जहां महिला को छेड़ने वाले बंगलूर की तरह भीड़ के रैले में आयेंगे वहां एक अकेले अब्बा क्या हिफाज़त करेंगे? दूसरी बात क्या ऐसा मुमकिन है कि हर महिला हर समय एक मर्द को साथ लेकर घर से निकले? नहीं यह बिल्कुल भी मुमकिन नहीं है। इसका नतीजा यह होगा कि बिना नियम कानून के ही महिलायें एक बार फिर से घरोें मेें कैद होकर रह जायेंगी।

 

न तो वे पढ़ाई के लिये अकेले जा सकेंगी और न ही नौकरी से लेकर घरेलू काम के लिये उनका बाहर निकलना संभव होगा। दिन छिपने के बाद तो उनको कोई मर्द अपने साथ भी बाज़ार ले जाना पसंद नहीं करेगा। इस तरह से संविधान द्वारा दिये गये उनके बराबरी के हकों का हनन शुरू हो जायेगा। इसी तरह जो अबु आज उन महिलाओं के छोटे कपड़ों को उनसे छेड़छाड़ की वजह बता रहे हैं। उनको यह भी जवाब देना चाहिये कि 70 से 80 साल की बूढ़ी औरतों दुधमंुही नाजुक बच्चियों से लेकर नीचे से उूपर तक साड़ी और हिजाब नकाब से ढकी महिलाओं के साथ आयेदिन बलात्कार क्यों होता है? यहां तक कि अस्पताल में भी महिला रोगी सुरक्षित नहीं हैं।

 

और तो और शर्म और चिंता की बात यह है कि जिन अब्बाओं या पतियों को अबु उनकी लाज का रखवाला बनाकर हर समय परछाई की तरह साथ रखने की बात कर रहे हैं। ऐसे केस आज काफी बड़ी तादाद में सामने आ रहे हैं। जिनमें बच्चियो किशोरियों और लड़कियों की इज़्ज़त लूटने वाले ये भेड़िये घर के अंदर या करीब के रिश्तेदार की शक्ल में  ही मौजूद होते हैं। यहां तक कि उनको पढ़ाने वाला गुरू तक कई बार उनके जिस्म से खेलने लगता है। सवाल यह है कि ऐसा क्यों होता है? हमारा जवाब है कि समाज में नैतिकता और शुचिता नहीं है। इसका एक बड़ा कारण तो यह है ही। लेकिन इससे भी बड़ा कारण यह है कि सबसे पहले लड़की का परिवार उसके साथ हुए अपराध के लिये उल्टा उसी को कसूरवार बताता है।

 

इसके बाद पुलिस अकसर रिपोर्ट दर्ज नहीं करती। इसके बाद दसियों साल तक चलने वाला कोर्ट केस उस पीड़िता से एक बार नहीं अनेक बार रेप करता है। प्रतिवादी वकील उस पीड़िता से जानबूझकर ऐसे सवाल करता है। जिससे अन्य मामलों में पीड़ित महिलायें अदालत जाने से डरती हैं। अबु को यह बात समझ लेनी चाहिये कि भारत को अरब नहीं बनाया जा सकता लेकिन ऐसा सिस्टम ज़रूर बनाया जा सकता है जिससे जल्दी न्याय हो।

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