भावनाओं के नाम खुली चिट्ठी
अरी ओ भावनाओं
तुम PK फ़िल्म और शार्ली एब्दो से तो बहुत जल्द आहत हो जाती हो
लेकिन कभी तब भी आहत हुआ करो
जब कोई इंसान भूख से मर जाता है
जब बच्चियों को कोख में ही क़त्ल कर दिया जाता है
किसी मासूम की इज़्ज़त लूटकर मार दिया जाता है
जब धर्म के नाम पर दंगों में बस्ती की बस्ती ख़ाक कर दी जाती है
जब सरकारी अस्पताल की लापरवाही से गर्भवती भर्ती न करने से मर जाती है
जब कमसिन बच्चों को उनसे काम लेने वाले जानवर की तरह बर्ताव करते हैं
जब बिजली विभाग की लापरवाही से करन्ट से किसी मौत हो जाती है
जब ट्यूशन के लिये किसी बच्चे का भविष्य खराब कर दिया जाता है
जब खबर या एड के लिये किसी को ब्लैकमेल किया जाता है
जब पुलिस पूछताछ के नाम पर किसी गरीब को थर्ड डिग्री देकर मार डालती है
जब किसान क़र्ज़ न चुका पाने से जान देने को मजबूर हो जाता है
जब नक़ली दवा से किसी की जान चली जाती है
जब गलत ओपरेशन से कोई सदा के लिये अँधा हो जाता है
जब दहेज़ के लिये किसी दुल्हन को जला दिया जाता है
....और भी बहुत बार❓❓❓
-इक़बाल हिंदुस्तानी
चीफ़ एडिटर
पब्लिक ऑब्ज़र्वर
Thursday, 22 January 2015
भावनाओं के नाम
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