Thursday, 22 January 2015

भावनाओं के नाम

��भावनाओं के नाम खुली चिट्ठी��
अरी ओ भावनाओं
तुम PK फ़िल्म और शार्ली एब्दो से तो बहुत जल्द आहत हो जाती हो
लेकिन कभी तब भी आहत हुआ करो
�� जब कोई इंसान भूख से मर जाता है
�� जब बच्चियों को कोख में ही क़त्ल कर दिया जाता है
�� किसी मासूम की इज़्ज़त लूटकर मार दिया जाता है
�� जब धर्म के नाम पर दंगों में बस्ती की बस्ती ख़ाक कर दी जाती है
�� जब सरकारी अस्पताल की लापरवाही से गर्भवती भर्ती न करने से मर जाती है
�� जब कमसिन बच्चों को उनसे काम लेने वाले जानवर की तरह बर्ताव करते हैं
�� जब बिजली विभाग की लापरवाही से करन्ट से किसी मौत हो जाती है
�� जब ट्यूशन के लिये किसी बच्चे का भविष्य खराब कर दिया जाता है
�� जब खबर या एड के लिये किसी को ब्लैकमेल किया जाता है
�� जब पुलिस पूछताछ के नाम पर किसी गरीब को थर्ड डिग्री देकर मार डालती है
�� जब किसान क़र्ज़ न चुका पाने से जान देने को मजबूर हो जाता है
�� जब नक़ली दवा से किसी की जान चली जाती है
�� जब गलत ओपरेशन से कोई सदा के लिये अँधा हो जाता है
�� जब दहेज़ के लिये किसी दुल्हन को जला दिया जाता है
....और भी बहुत बार❓❓❓
-इक़बाल हिंदुस्तानी
चीफ़ एडिटर
पब्लिक ऑब्ज़र्वर

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