मुसलमानों का वोट भी ले सकती है भाजपा?
-इक़बाल हिंदुस्तानी
0बाबरी मस्जिद व गुजरात दंगे उसके रास्ते का बड़ा पत्थर बने हैं!
भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा है कि
अगर कोई गल्ती हुयी है तो वे मुसलमानों से सौ बार सिर झुकाकर माफी मांगने को तैयार
हैं, हालांकि उनके इस बयान पर संघ
परिवार ने ही दबी जुबान से नाराज़गी दर्ज की है लेकिन मिशन मोदी 272 के हिसाब से राजनाथ ने यह सकारात्मक पहल की है। उधर मुसलमानों के
सबसे बड़े लीडर समझे जाने वाले सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खां ने दो क़दम आगे बढ़कर
इसमें यह जोड़ दिया है कि भाजपा को अगर माफी मांगनी ही है तो वह खुलकर स्वीकार करे
कि उसने बाबरी मस्जिद शहीद की थी और वह उसे फिर से बनाने को तैयार है। साथ ही खां
ने मांग की है कि मोदी गुजरात दंगों की ज़िम्मेदारी कबूल कर दंगापीड़ित मुसलमानों को
न्याय दिलायें, उनका पुनर्वास करें और उनको
पर्याप्त मुआवज़ा भी दें तो मुसलमान भाजपा को माफ करने के बारे मंे सोच सकता है।
इसके साथ ही मुसलमानों पर अपनी मज़बूत पकड़ रखने
वाले दारूलउलूम देवबंद ने राजनाथ के बयान को सियासी स्टंट बताते हुए सिरे से नकार
दिया है। इसमें कोई दो राय नहीं भाजपा और मोदी की लगाम आरएसएस के हाथ में है और
संघ का हिंदूवादी ऐजंडा किसी से छिपा नहीं है। यही वजह है कि मोदी, पूरी भाजपा और संघ ने राजनाथ के बयान को आगे नहीं बढ़ाया है। खुद मोदी
बंग्लादेश के घुसपैठियों को लेकर हिंदू और मुस्लिम के आधार पर शरण देने की बात कह
चुके हैं। हालांकि मोदी इस बार और चुनाव की तरह हिंदूवादी विवादास्पद मुद्दे
जानबूझकर नहीं उठा रहे हैं जिससे मुसलमान भाजपा को वोट भले ही ना करें लेकिन उनका
भाजपा प्रत्याशियों को हर कीमत पर हराने का एकसूत्री अभियान ठंडा पड़ सके।
इसका कुछ ना कुछ असर मुसलमानों पर तो पड़ेगा ही
साथ ही इससे वह हिंदू मतदाता जो भाजपा को साम्प्रदायिक मानकर वोट नहीं करता था इस
बार कांग्रेस सहित तमाम सेकुलर दलों से मुस्लिमपरस्त नीतियों के कारण नाराज़ होकर
मोदी के विकास के दावों को परखने के लिये भाजपा की तरफ़ रूख़ कर सकता है। इससे पहले
पार्टी अध्यक्ष राजनानथ सिंह ने जयपुर में मुसलमानोें को आश्वासन दिया था कि भाजपा
शासित राज्यों में उनके हितों के रखवाले वह खुद बनेंगे। भाजपा ने विकास और मुस्लिम
मुद्दे पर एक सम्मेलन का आयोजन कर मुसलमानों को यह समझाने की कोशिश की है कि कथित
सेकुलर माने जाने वाले दल उनको वोटबैंक मानकर केवल सत्ता पाने के लिये इस्तेमाल
करते हैं जबकि भाजपा अल्पसंख्यकों के लिये विज़न डाक्यूमेंट जारी करेगी और हज व
वक़्फ पर सकारात्मक बहस चलाकर उनकी भलाई की योजनाएं लागू करने का एजेंडा सामने
रखेगी।
पार्टी उपाध्यक्ष मुख़्तार अब्बास नक़वी का
दावा है कि कांग्रेस के 50 साल के राज में मुसलमान
विकास के आखि़री पायेदान पर चला गया है। उनका कहना है कि कांग्रेस जैसे
धर्मनिर्पेक्ष दल वोटों की खातिर ही भाजपा और साम्प्रदायिकता का हल्ला मचाते हैं।
उनका यह भी कहना है कि भाजपा सभी वर्गों को साथ लेकर चलना चाहती है। बताया जाता है
कि नरेंद्र मोदी को भाजपा की चुनाव अभियान समिति का चेयरमैन बनाये जाने के बाद
मोदी ने महासचिवों और कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति के सदस्यों की पहली बैठक में ही
अल्पसंख्यकों तक पहुंचने की कवायद शुरू करने पर जोर दिया है। इससे पहले गुजरात
चुनाव के दौरान ज्वाइंट कमैटी ऑफ मुस्लिम ऑर्गनाइज़ेशन फॉर इंपॉवरमेंट नाम की दस
तंजीमों की संयुक्त कमैटी का चेयरमैन सैयद शहाबुद्दीन को बनाया गया था ।
शहाबुद्दीन की मांग थी कि अगर भाजपा
मुसलमानों को लेकर वास्तव मंे गंभीर है तो 20 ऐसी विधानसभा सीटों पर चुनाव में मुसलमानों को टिकट दें जहां
मुसलमानों की आबादी 20 प्रतिशत तक है। सवाल अकेला
यह नहीं है कि मोदी गुजरात के दंगों के लिये गल्ती मानते हैं कि नहीं बल्कि यह है
कि भाजपा अपनी मुस्लिम विरोधी सोच को बदलती है कि नहीं। सबको पता है कि भाजपा
राममंदिर, मुस्लिम पर्सनल लॉ, अल्पसंख्यक आयोग, कश्मीर की धारा 370, वंदे मातरम, मुस्लिम यूनिवर्सिटी, हिंदू राष्ट्र, धर्मनिर्पेक्षता और आतंकवाद को लेकर विवादास्पद राय रखती है। इसी
साम्प्रदायिक सोच का नतीजा है कि वह आतंकवादी घटनाओं में पकड़े गये बेक़सूर नौजवानों
को आयोग द्वारा जांच के बाद भी रिहा करने के सरकार के प्रयासों का जोरदार विरोध
करती है। वह सबको भारतीय ना मानकर हिंदू मानने की ज़िद करती है।
वह दलितों के आरक्षण में मुसलमान दलितों को
कोटा देनेेेे या पिछड़ों के कोेटे में से अल्पसंख्यकों को कोटा तय करने या सीध्ेा
मुसलमानों को रिज़र्वेशन देने का विरोध करती है जबकि सच्चर कमैटी की रिपोर्ट चीख़
चीख़कर मुसलमानों की दयनीय स्थिति बयान कर रही है। भाजपा के लिये एक मिसाल यह
सामने है कि आन्ध्र प्रदेश की सरकार ने उन 70 मुस्लिम नौजवानों से खुलेआम माफी मांगी है जिनको मई-2007 के हैदराबाद की मक्का मस्जिद बम धमाकों के आरोप में
पुलिस की हिंसा और अपमान का पांच साल तक बेकसूर होने के बावजूद शिकार होना पड़ा था।
इस मामले मंे राज्य सरकार ने 20 लोगों को तीन तीन लाख और बाकी को 20-20 लाख रू. का मुआवज़ा भी दिया है। वहां की सरकार ने एक
अच्छा क़दम यह उठाया है कि इन बेगुनाह युवकों को चरित्र प्रमाण भी जारी किया है
जिससे इनको भविष्य में आतंकवादी कहे जाने के किसी लांछन का सामना ना करना पड़े।
पुलिस ने मालेगांव, अजमेर दरगाह व समझौता एक्सप्रैस मामलों में जिन बेकसूर मुस्लिम
युवकों को पकड़ा था उनमें से लगभग सभी निर्दोष पाये गये क्योंकि जांच में इन
विस्फोटों में हिंदूवादी संगठनों का हाथ पाया गया था। गुजरात की मोदी सरकार और भाजपा
भी चाहे तो एक बार नरसंहार के लिये मुसलमानों से खुले दिल से माफी मांगे और उनके
साथ पक्षपात बंद कर उनका पुनर्वास शुरू करे तो आज नहीं तो कल इस खाई को पाटा जा
सकता है, नहीं तो भाजपा और मोदी को इस
भूल की बड़ी सियासी कीमत लगातार चुकानी पड़ेगी। भाजपा के मुसलमानों के तुष्टिकरण के
आरोप को खुद भारत सरकार के आंकड़े झुठलाते हैं। भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय
के अनुसार 1947 में देश में मुस्लिमों में
साक्षरता का प्रतिशत 30 था जबकि यह उच्च शिक्षा के
हिसाब से 8.5 था।
आज जब देश में साक्षरता का प्रतिशत 70 पहंुच चुका है तो मुसलमानों में उच्च शिक्षा का प्रतिशत मात्र 2.4 है। ऐसे ही आबादी में 8.5 प्रतिशत का अंतर होने से अल्पसंख्यकों को जहां 1.20 लाख तो दलितों व आदिवासियों को 9.5 लाख छात्रवृत्ति दी जा रही है। मुस्लिम आबादी और उसकी पुलिस में
मौजूदगी के हिसाब से देखा जाये तो यूपी में 19 फीसदी होने के बावजूद मात्र 4.73 प्रतिशत, बिहार में 25 की जगह 8.19, बंगाल में 17 की जगह 7.35, असम में 31 की जगह 4.42, और इसके विपरीत महाराष्ट्र
में आबादी 10.06 प्रतिशत होने के बाद भी
जेलों में बंद मुसलमानों की तादाद 32.4 फीसदी, गुजरात में 9.06 के मुकाबले जेल में 25 प्रतिशत और दिल्ली में 11.7 प्रतिशत आबादी के बरक्स जेल में बंद मुसलमानों का
प्रतिशत 29 है।
अगर इस बात को पलटकर देखा जाये तो मुसलमानों
को उनकी आबादी के हिसाब से हर क्षेत्र में बहुत कम हिस्सा मिलने से यह गैर
मुस्लिमों का तुष्टिकरण जाने अनजाने हो रहा है। इतिहास गवाह है कि 1984 में भाजपा लोकसभा की मात्र 2 सीटों तक सिमट कर रह गयी थी लेकिन हिंदूवादी राजनीति करने के लिये
जब उसने रामजन्मभूमि विवाद को हवा दी तो वह दो से सीधे 88 सीटों पर जा पहुंची। इसके बाद उसने उग्र हिंदूवाद की लाइन पकड़कर
पार्टी को डेढ़ सौ सीटों तक पहुंचा दिया। राजनाथ या मोदी ही नहीं भाजपा जब तक
आरएसएस के नियंत्रण में अपनी साम्प्रदायिक राजनीति छोड़कर सभी भारतीयोें के लिये
ईमानदारी से भलाई का काम करना शुरू नहीं करती तब तक भ्रष्ट कांग्रेस की जगह
क्षेत्रीय दल चुनाव में उससे आगे आते जायेंगे, यह बात 2014 के चुनाव में एक बार फिर
साबित हो सकती है।
0उसके होठों की तरफ़ ना देख
वो क्या कहता है,
उसके क़दमों की तरफ़ देख वो किधर जाता है।।
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