Sunday, 26 February 2023

पाकिस्तान संकट

*पाकिस्तान: बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से आये!* 


0 पाकिस्तान आजकल भारी संकट में है। पड़ौसी मुल्क और मानवता के नाते वहां की परेशान जनता से किसी भी इंसान देश व समाज को सहानुभूति हो सकती है। लेकिन उसके शासकों सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई ने आज़ादी के बाद से जो रास्ता चुना वह उसको इसी बर्बादी और तबाही की ओर ले जा सकता था। आज उसकी वहन क्षमता से कई गुना अधिक 250 बिलियन अमेरिकी डालर कर्ज़ है। उसको 33 बिलियन डाॅलर 2023 में चुकाने हैं। उसकी कुल खेती लायक ज़मीन में से 70 प्रतिशत पर 263 अमीर सामंत और नवाब रहे बड़े लोगों का कब्ज़ा है। पिछले साल आई भीषण बाढ़ से उसकी एक तिहाई खेती तबाह हो गयी। वहां निर्माण से अधिक आतंक पैदा हुआ है।        


                  -इक़बाल हिंदुस्तानी


      आईएमएफ यानी इंटरनेशनल मोनेट्री फंड ने उसको इस संकट से निकालने के लिये 7 अरब डालर का बेलआउट पैकेज देने को हामी तो भरी है लेकिन उसकी शर्तें इतनी मुश्किल जनविरोधी और सख़्त हैं कि पाक के सामने एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई वाली हालत है। रेटिंग एजेंसी मूडीज़ का कहना है कि पाक की कर्ज़ चुकाने की क्षमता आज दुनिया के किसी भी आज़ाद और संप्रभु देश के मुकाबले सबसे कमज़ोर है। अगर पाक इस पैकेज को लेता है तो उसको आईएमएफ की शर्त के अनुसार सब्सिडी में भारी कटौती टैक्स दरों में बढ़ोत्तरी और सुधारवादी आर्थिक नीतियां अपनानी होंगी। पाक के सामने करो या मरो की हालत है। उसके कर्ज़ का ब्याज भुगतान ही कुल आने वाले राजस्व का आधा है। 2017 का विदेशी कर्ज़ 66 से बढ़कर 100 बिलियन हो चुका है। डाॅलर की कीमत 267 रूपये हो चुकी है जिससे पाक का कर्ज़ बिना और लिये ही बढ़ता जा रहा है। साथ ही इससे महंगाई को भी पर लग गये हैं। जो 40 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। विदेशी मुद्रा भंडार मात्र 3.67 अरब डालर बचा है जोकि आगामी तीन सप्ताह के लिये ही हैै। उसकी सीमा पर विदेशी माल के ढेर लगे हैं। लेकिन उनकी कीमत चुकाने के लिये विदेशी मुद्रा ना होने से वह माल पाक मंे अंदर प्रवेश नहीं कर पा रहा है। हालांकि पाक के वर्तमान संकट के अन्य कारणों में तात्कालिक वजह यूक्रेन जंग वैश्विक मंदी और पिछले साल आई भयंकर बाढ़ से 33 मिलियन लोगों का जीवन तबाह हो जाना भी है। लेकिन आतंकवाद उग्रवाद चरमपंथ कट्टरपंथ करप्शन सेना का बार बार चुनी हुयी सरकार का तख़्ता पलट करना आर्थिक गैर बराबरी विदेश में काम करने वाले पाकिस्तानियों पर अर्थव्यवस्था का टिका होना आज़ादी के दशकों बाद तक अपना संविधान ना बना पाना लोकतंत्र मज़बूत ना होना सेना पर बजट का बड़ा हिस्सा खर्च करना अमेरिका और खाड़ी के देशों से मिलने वाली बड़ी वित्तीय मदद का बड़ा हिस्सा तालिबान जैसे आतंकी संगठनों को पैदा कर पालना पोसना और भारत की तरह ज़मींदारी उन्मूलन ना कर देश में केवल बेहद गरीब और बेहद अमीर दो ही वर्ग आज तक बने रहना भी पाक की तबाही का कारण बना है।कहावत पाक पर इसलिये भी याद आ रही है कि इस संकट के दौर में जिस तालिबान को उसने बड़ी मेहनत लगन और कट्टर मज़हबी जनून की घुट्टी पिलाकर पाला था। आज वही उसके सीमावर्ती इलाकों में इतनी ज़बरदस्त पकड़ बना चुका है कि वहां पाक सरकार का राज नहीं चलता। तालिबान मस्जिद में नमाज़ पढ़ते लोगों और आर्मी के स्कूल में सैनिकों के बच्चो को जब तब बम और गोलीबारी से मारता रहता है। लेकिन पाक सरकार सेना और आईएसआई बेबस नज़र आते हैं। शायद गांधी जी ने इसीलिये बार बार ज़ोर देकर यह कहा था कि सही मकसद हासिल करने के लिये सही रास्ता भी अपनाया जाना ज़रूरी है। लेकिन पाक ने अफगानिस्तान से रूस को भगाने में अमेरिका के साथ मिलकर जो तालिबान पैदा किया वह आज उसी को खा रहा है। कहावत सही है कि बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से आये।


 *नोट- लेखक पब्लिक आॅब्ज़र्वर के संपादक व नवभारत टाइम्स डाॅटकाम के ब्लाॅगर हैं

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